पुष्प ( बारह वर्ष की उम्र में लिखी मेरी पहली कविता जिसे बाल कवि प्रतियोगिता में सांत्वना पुरुस्कार मिला था )
यवनिका की ओट में
एक पुष्प मुस्करा रहा
तभी झोंका
एक आया वायु का,
पुष्प की
पंखुड़ियाँ हो गई विलग,
अपनी इस दुर्दशा पर
होकर व्यथित
लगा सोचने...
हे ईश्वर!
न दे किसी को
ऐसा सौन्दर्य, घमंड
जो हो क्षणभंगुर... ।
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