Wednesday, August 1, 2018

आस है तो जीवन है रीत गया जीवन जैसे कोई पुराना घड़ा घड़ा तो फिर भर जाएगा रीता जीवन कैसे भर पायेगा ? घड़ा तो घड़ा है निर्जीव है घुटन ,संताप से दूर है लोग आयेंगे, प्यास बुझायेंगे रीते जीवन को कौन भर पायेगा ? रीत तो नदिया भी जाती है पावस की सुहानी बूंदे बरस-बरस कर धरती से गगन का कराती है मिलन रीती नदिया सैकड़ों बांध तोड़कर धरा की प्यास बुझा जाती है । हे पागल मन मत हो निराश स्नेह की नन्हीं-नन्हीं बूँदें फिर आयेंगी, सहलाकर तन-मन को रीते मन को, रीते जीवन को प्यार की खुशबू से भर जायेंगी... मत भूलना आस है तो जीवन है । @सुधा आदेश