दांत का दर्द
अनिल के दाँत में बहुत दर्द हो रहा था । उसकी माँ शीला उसे दांत के डाक्टर के पास दिखाने ले गई । आखिर आधे घंटे के इंतजार के पश्चात् रिसेप्शनिस्ट ने उन्हें अंदर जाने के लिये कहा ।
"आपका क्या नाम है ? " डाक्टर शालिनी ने उसे एक लंबी कुर्सी पर बैठने का आदेश देते हुये मुस्कराकर पूछा ।
"अनिल ।"
"क्या हुआ है आपको ?"
" दांत में बहुत दर्द हो रहा है ।"
"किस दांत में ?"
* इस दांत में ।"अनिल ने अपनी अंगुली से दांत को स्पर्श करते हुये कहा ।
"अच्छा अपना मुँह खोलो ।"
अनिल के मुँह खोलते ही डाक्टर ने चेयर के ऊपर लगी लाइट जला दी । लाइट के जलते ही अनिल रोने लगा ।
" रोओ मत, आप तो बहादुर लड़के हैं न । इस लाइट की सहायता से हम देखेंगे कि आपके दांत को हुआ क्या है ? अब अपना मुँह खोलो ।"
"ओ.के. डाक्टर आंटी ।" रोना बंद करते हुये अनिल ने अपना मुँह खोल दिया ।
" दर्द इस दांत में है ।"डाक्टर ने यंत्र से उसके दांत को टच करते हुये कहा ।
"जी ।" अनिल ने दर्द से कराहते हुये कहा ।
"क्या तुम मीठा बहुत खाते हो ?"
" हाँ डाक्टर आंटी, मुझे चाकलेट बहुत पसंद है ।"
" उसके बाद कुल्ला करते हो ।"
" नहीं ।"
"बस यही तो बात है । आपने चाकलेट खाई और चाकलेट ने आपके दांत ।"डॉक्टर ने मुस्कराते हुए कहा ।
"चाकलेट दांत कैसे खायेगी ?" अनिल ने आश्चर्य से पूछा ।
"अगर आप खाना खाने के बाद कुल्ला नहीं करोगे, सुबह उठकर या रात में सोने से पहले ब्रुश नहीं करोगे तो चाकलेट या खाना आपके दांतों में लगा रह जायेगा । धीरे-धीरे खाना सड़ने लगेगा तथा उसमें कीड़े पैदा होने लगेंगे और ये कीड़े आपके दांतों को खाने लगेंगे ।"
"मुँह में कीड़े...।"कहकर उसने बुरा सा मुँह बनाया ।
"हाँ कीड़े...उनमें से कुछ कीड़े अगर आपके पेट में चले गये तो पेट में भी दर्द होने लगेगा ।"
"यही बात तो मैं इससे कहती हूँ पर यह मेरी बात सुनता ही नहीं है ।" अनिल की मम्मी ने अनिल की तरफ देखते हुये डाक्टर से कहा ।
"बेटा, आपकी मम्मी जो कह रही हैं, क्या वह सच है ?" डाक्टर ने अनिल की ओर देखते हुये पूछा ।
" जी...।"अनिल ने सिर झुकाकर कहा ।
"जो बच्चा अपनी माँ की बात नहीं मानेगा उसे परेशानी तो होगी ही ।"
"डाक्टर आंटी, अब मैं ममा की हर बात मानूँगा तथा खाने के बाद हमेशा कुल्ला करूँगा तथा सुबह और रात्रि में ब्रुश भी करूँगा ।"
"इसके साथ ही सुबह उठने के बाद तथा रात में सोने से पूर्व भी ब्रुश करना चाहिये ।"
" वह मैं करूँगा पर दांत का दर्द...।"अनिल ने कराहते हुये कहा ।
"वह भी ठीक हो जायेगा । पहले नंबर की दवा को एक हफ्ते तक दिन में तीन बार लगाना । यदि अधिक दर्द हो तो दूसरे नंबर की दवा को दिन में दो बार खाना ।" डाक्टर ने दवा की पर्ची लिखकर अनिल को बताते हुये कहा ।
"ओ.के. डाक्टर आंटी । माँ अब चलें । बाय आंटी...।" कहते हुये अनिल ने डाक्टर शालिनी से पर्चा लिया तथा मन ही मन सोचने लगा कि अब वह डाक्टर आँटी की बात को सदा ध्यान में रखेगा तथा कभी आलस नहीं करूँगा ।
सुधा आदेश