Tuesday, November 22, 2011

पल



आज दुनिया जिस दौर से गुजर रही है उसमे हर गुजरता पल महत्वपूर्ण होता जा रहा है....जो पलो के महत्व को नकार देते वे स्वयं को भुलावे मे रखते है क्योंकि गुजरते पल लौट कर नहीं आते.... इस बात को शब्दों में कुछ इस तरह पिरोया हे,,,,,

दो पल की है ज़िंदगी


कतरा-कतरा बूँद-बूँद सजती रही ज़िंदगी,
कभी बिहंसती कभी चटकती रही ज़िंदगी।

शबनमी बुंदों ने जब-जब भिगोया तन मन,
सूरज की उजली किरण सी सँवरती गई ज़िंदगी।

पतझड़ की कंटीली हवाओं ने जब-जब भी दी चुभन,
तिनका-तिनका बेताहशा,बेतरतीब बिखरती  गई ज़िंदगी।

भागे ज़िंदगी की जद्दोजेहद के पीछे जितना ही,
उतनी ही छिटकती चली जा रही जिंदगी।

अरमानों को सहेजकर अलकों पर ,कहती है 'सुधा',
कैद कर लो सुख-दुख के पल,दो पल की है ज़िंदगी।

Tuesday, November 8, 2011

मुखोटा

इंसान अपने चेहरे पर न जाने कितने मुखोटे लगाए रहता है । अंदर से कुछ बाहर से कुछ...सच तो यह है कि कभी-कभी वह स्वयं ही मुखोटे के पीछे छिपे अपने चेहरे को नहीं पहचान पाता या अपने अहंकार के वशीभूत इसे स्वीकार करने में हिचकता है पर शायद वह नहीं जानता कि वह दूसरों को धोखा दे सकता है पर स्वयं को नहीं... मुखोटा जो स्वयं के साथ सच्चा नहीं वह दूसरों के साथ सच्चा कैसे होगा, साथ चलना है तो चलेंगे ही पर विश्वास पर दाग लगा ही होगा...। अपनों के साथ छल कपट कर गर तुम आगे बढ़े भी मत भूलो, स्वयं तुम्हारा भी भला नहीं होगा....। मुखोटों में कैद ज़िंदगी भी क्या जिदगी, छिपकर नज़रों से अपनी जीना भी भला जीना होगा....। जीना है तो जियो शान से आत्मसम्मान, आत्मगौरव के संग, विश्वास करो न करो तुम सारा जमीन,सारा आकाश तुम्हारा होगा....। सुधा आदेश

Sunday, November 6, 2011

मन

मन को आज तक कोई नहीं समझ पाया है मन अगर चाहे कठिन से कठिन समस्याओ का हल चुटकियों मे कर दे,नहीं तो सरल से सरल समस्याओ के समाधान में महीनो लगा दे....किसी ने सच ही कहा है....मन की गति मन ही जाने....मेंने मन की गति को कुछ इस तरह उकेरने का प्रयत्न किया है.... उलझनों में घिरा मन अगर मगर में हैरान परेशान मन फिर भी चलता चला जा रहा है मन...। कितना कैद रहे मन, उड़ना है तो उड़ेगा मन फिद्रत से मजबूर मन.... हँसोगे तो हँसेगा मन रोओगे तो रोएगा मन नाचता नचाता रहा सदा मन....। आवश्यकता में तीव्रता से भागा मन रुका तो रुका ही रह गया मन, मन को ही नहीं समझ पाया मन...। मित्र बना जब मन का मन, अंधेरों में जुगनू सा जगमगाया मन, इन्द्रधनुष सा लहराया, सुकून पाया मन....।