Wednesday, September 14, 2016
हिन्दी दिवस
आज हिन्दी दिवस है...मुझे सदा आश्चर्य होता रहा है कि हमारी राष्ट्रभाषा के साथ राजभाषा भी हिन्दी है पर हर वर्ष इसके प्रचार और प्रसार के लिए हिन्दी दिवस मनाया जाता है क्यों...यह सच है शासक कोई भी रहा हो पर हिन्दी और हिन्दी साहित्य सदा से हमारे दिलों में राज करता रहा... हमने हिन्दी को इतना दीन-हीन बना दिया है कि प्रत्येक वर्ष हिन्दी दिवस और हिन्दी पखवाड़ा मनाकर हम अपने कर्तव्य की इतिश्री समझने लगते है...यह भी एक संयोग ही है कि यह पखवाड़ा अक्सर पितरपक्ष में ही आता है...इस संयोग से प्रेरित होकर एक कविता आपके सम्मुख पेश है....
मेरा बारह वर्षीय पुत्र
आकर बोला,
' ममा, कल हिन्दी दिवस है
मैडम ने कुछ लिखकर
लाने के लिए कहा है,
प्लीज ममा
कुछ लिखवा दो न...। '
मन में कुछ
अकुलाने लगा...
हिन्दी हमारी मात्रभाषा है,
राजभाषा है
और हम इसके
प्रचार और प्रसार हेतु
हिन्दी दिवस मना रहे है...
क्या धरोहर
दे रहे है नवांकुरों को
जिनकी जड़ें
हम नित्य विदेशी भाषा से
सींच रहे है ।
वर्ष में एक दिन
हिन्दी दिवस मनाकर
मात्रभाषा को
कब्र से खोदकर
खड़ा कर रहे है...
ठीक उसी तरह
जैसे पूर्वजों की
आत्मा की शांति के लिए
पितरपक्ष में एक दिन
उनके लिए सुरक्षित रख देते है,
उस दिन दान दक्षिणा देकर
उन्हें स्मरण कर
कर्तव्यों की
इतिश्री समझ कर
पुनः दिनचर्या में
हो जाते है लीन...।
Friday, September 9, 2016
सासू माँ को विनम्र श्रद्धांजलि ...
मेरी सासू माँ... आज उनको गये हुए 15 दिन हो गए पर मन है कि वस्तुस्तिथि को स्वीकार ही नहीं कर पा रहा है । लगता है वे कहीं छिप गई हैं, थोड़ी देर में आ जायेगी । काश यह संभव हो पाता ... जिंदगी को चलना है वह तो चलेगी ही पर इतना विश्वास है कि यादों के रूप में सदा हमारे आस पास रहेंगी ।
मैंने अपना कहानी संग्रह आत्ममंथन उन्हें समर्पित किया था, इन शब्दों द्वारा उन्हें हमारी श्रद्धांजलि अर्पित है ...
समर्पित उनको
जो जन्म की नहीं
कर्म की माँ बनी ।
संस्कारों की धरोहर सहेजे
कर्मपथ पर लीन स्वयं भी चलीं
हमें भी प्रेरित किया ।
आशीर्वचनों के साथ
वरदहस्त सदा रहे
दिल में बस यही कामना ।
शत-शत अभिनन्दन
माँ तुमको सदा सर्वदा
अटूट यही हमारी भावना ।
सुधा आदेश
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