Saturday, June 30, 2012

मत छेड़ो तान

मत छेड़ो तान धनश्याम बांसुरी की
आज नहीं है आकांछा किसी को
हँसने झूमने नाचने गाने की....।

सिसक रहा है शैशव आज बंद दरवाजो  में ,
क्लब सामाजिक सेवा में व्यस्त ,
माँ को आज नहीं है लालसा ,
बांहों के झूले लोरी सुनने की....।
मत छेड़ो तान ....

भारी बोझ तले  दबा बचपन ,
भूल गया घरोंदे बनाना,
नावे चलाना,हँसना रोना औ मचलना,
आज नहीं है अभिलाषा माखन चुराने की....।
मत छेड़ो तान....

अलबेला,मस्ताना,मदहोश योवन
भूलकर सावन के झूले ,
जूझ रहा जीवन संग्राम में निज पहचान बनाने की,
आज नहीं है उसे तृष्णा रास रचाने की....।
मत छेड़ो तान....

रिश्तों के नर्म नाजुक धागों को ,
सहेजने के प्रयास में रीत रहा बुढ़ापा ,
नहीं मिला अवकाश उसे ,
जीवन के बीहड़ जंगल से मुक्ति पाने का....।

मत छेड़ो तान धनश्याम बांसुरी की.....
आज नहीं है आकांछा किसी को
हँसने, झूमने , नाचने गाने की....।

Wednesday, June 27, 2012

शुभकामनाये

दाम्पत्य  जीवन सूरज की किरण सा,
उजास फैलाकर कर तन मन में,
दूर करे मन का अँधेरा....

दाम्पत्य जीवन सुधांशु की सुधारश्मि सा,
चंदन सा लेप लगाता रहा
अहम के टकराव से घायल दिल पर....

दाम्पत्य जीवन नदी की लहर सा
रोंद कर राह में आती चट्टानों को
बहता गया निरंतर....

दाम्पत्य जीवन पक्षियों के कलरव सा
प्यार - मनुहार, गिले शिकवे जिसमे ,
सात  जन्म का साथ निभाने का संकल्प भी....

दाम्पत्य जीवन कोयल की कूक सा
मधुर तान से अपनी
जीवन में मधुरस घोल गया....

दाम्पत्य जीवन फूलों की बगिया सा
प्यार और विश्वास से सींचा जिसने,
महकता जीवन उसका रहा....।

शुभकामनायों के साथ....
           चाचा-चाची.....