Friday, July 24, 2015

संभावना

संभावनाओ का जब हो जाए अंत तब भी एक संभावना उपजती है आखिर इंसानी प्यास कब बुझी है ? इंसानी प्यास एक जिजीविषा है जीने की विषम परिसतिथियों में वरना न इंसा होता न यह दुनिया होती । गम और उदासी की लपेटे चादर, मन मस्तिशक के कर कपाट बंद इंसा न स्वयं जी पाएगा न किसी को जीने देगा । याद रखना सदा छोटी – छोटी बात पर रोता कल्पता इंसान मन में वितृष्णा भर देता है । वही लबों पर हंसी की छोटी सी लहर अँधेरों में भी प्राची की नवकिरण का एहसास करा जाती है । निर्भर है तुम पर मिटा दो अपनी दुनिया निज हस्तों से या रजो-गमों से बेखोफ जुट जाओ मंजिल की तलाश में ।

Sunday, July 19, 2015

पुस्तकें मेरा जीवन

पुस्तकें मेरा जीवन मेरे जैसे व्यक्ति जो पुस्तकों में अपनी खुशियाँ खोजते ही नहीं पाते भी हें, के लिये पुस्तकों से बढ़कर मित्र, हमसफर, हमराही कोई दूसरा नहीं है । पुस्तकें हंसाती भी है और रुलाती भी है । कभी-कभी मन मस्तिष्क को झिझोड़कर कुछ कर गुजरने के लिये भी प्रेरित करती है। पुस्तकें है तो आप एकाकी नहीं...अवसादग्रस्त हों, उदास हो या मनभटक रहा हो तो उठा लीजिये मनपसंद पुस्तकें...अवसाद भाग जाएगा, उदासी का नामोनिशान नहीं रहेगा तथा मन एकाग्र हो जाएगा । पुस्तक प्रेमी के लिये पुस्तक नहीं तो कुछ भी नहीं...एकांत उसे दबोचेगा नहीं, कोलाहल परेशान नहीं करेगा । उम्र का कोई भी पड़ाव हो,पुस्तकों से नाता मत तोड़िए ...जीवन रसमय, शांतिमय एवं मधुर होता जाएगा ।