ख़ूबसूरत ज़िंदगी मिली
जी नहीं पाये पता नहीं क्यों ?
आँखों में अनेकों हसरतें पलती रहीं
अधूरी रहीं, पता नहीं क्यों ?
लबों पर शब्द अटके रहे
कह नहीं पाये पता नहीं क्यों ?
पाँव थिरकने को आतुर हुये
थिरक नहीं पाये पता नहीं क्यों ?
झिझक थी या मजबूरी
रही अनबूझ पहेली पता नहीं क्यों ?
उलझा रहा जीवन कर्तव्यों के जंगल में
उबर नहीं पाये पता नहीं क्यों ?
कल इतिहास बन जायेगी ज़िंदगी
जी लूँ, मन में द्वन्द पता नहीं क्यों ?