सारे युद्ध हथियारों से ही नहीं लड़े जाते, प्रेम से भी बहुत सारी लड़ाइयाँ लड़ी और जीती जाती है...जब चारों ओर युद्ध की स्थितियाँ निर्मित होने लगें तो बो दीजिये ढेर सारे प्यार के बीज ताकि आने वाले समय में धरती के इस छोर से उस छोर तक प्रेम की फसलें लहलहा सकें...हर दिल में समाये नफरत के काटों की जगह प्रेम और विश्वास के फूल उग कर न केवल मानव जीवन को वरन संसार को उज्ज्वला और सुफला बना सकें...।
Thursday, May 30, 2013
Wednesday, May 29, 2013
ढाई आखर प्रेम का...
कहा जाता है कि प्रेम के दो शब्द जीवन में मिठास घोल देते है पर अहंकार में डूबा मानव यहीं कंजूसी कर जाता है...मानमनोवल का आदि एवं भविष्य को सहेजने की अंधी दौड़ में शामिल इंसान यह भी भूल जाता है कि सभी भौतिक वस्तुएं यहीं रह जायेंगी, साथ जायेंगे तो सिर्फ उसके मीठे बोल,उसके कर्म...यदि वह सबका सम्मान करता है,सबसे अच्छी तरह व्यवहार करता है तो उसके हर सुख-दुख में उसके निकट संबंधी, इष्ट- मित्र उसका साथ निभायेंगे वरना एक समय ऐसा भी आएगा कि उसे रहना भी अकेले पड़ेगा और जाना भी अकेले ही पड़ेगा...।
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