Tuesday, December 15, 2015
लोकतंत्र या शोरतंत्र
दार्शनिक प्लूटो ने कहा था कि लोकतंत्र मूर्खों का, मूर्खों के लिये , मूर्खों द्वारा शासन है । भारत में आज यह बात
अक्षरश:सत्य सिद्ध हो रही है । लोकतंत्र में चुनी सरकार का विशेष महत्व है । सरकार से लोगों को अनेक आशायें
रहती हैं पर अगर चुनी सरकार को कोई काम ही न करने दे तो ? आज मुट्ठी भर विपक्ष ने संसद को बंधक बना
रखा है । शोर शराबा, गाली गलौज नित्य की बात हो गई है । संसद की कार्यवाही देखकर या समाचार सुनकर
मन में बार-बार यही आता है कहाँ गये हमारे संस्कार , हमारी नैतिकता...आख़िर कैसे संस्कार दे रहे हैं हमारी
नई पीढ़ी को ?
काश ये जन प्रतिनिधि आम जनता की भावनाओं को समझ पाते तो शायद एेसा हरकतें नहीं करते...व्यर्थ शोर मचाकर
संसद का समय जाया करने की बजाय देश हित में कार्य करते ।
Monday, December 14, 2015
नफ़रत एक जहर
नफ़रत से बुरा ज़हर इंसान के लिये कोई दूसरा नहीं है । कुछ इंसान नफ़रत के वशीभूत
मन में इतनी नकारात्मक ऊर्जा का समावेश कर लेते हैं कि उन्हें अच्छाई में भी बुराई नज़र आने लगती है ।
एेसा व्यक्ति सदा दूसरों में बुराई ही ढूँढता रहता है नतीजन वह ज़िंदगी कभी उन्नति नहीं कर पाता क्योंकि उसकी
जो ऊर्जा रचनात्मक कार्यों में लगनी चाहिये वह उसकी मानसिकता के कारण नकारात्मक कार्य में खरच हो जाती है ।
Saturday, December 12, 2015
चलो हैपी वीक एनड पर
कांग्रेस के आनंद शर्मा ने शुक्रवार को कहा चलो हैपी वीक एनड मनायें...सच सार्थक काम करने की अपेक्षा शोर गुल मचाने में एनर्जी की अधिक खपत होती है ...पर एक प्रश्न मन को मथ रहा है अगर एेसा ही सरकारी और ग़ैर सरकारी संस्थानों में भी होने लगे तो देश का क्या होगा ?
Friday, December 11, 2015
अच्छे दिन ...
अपनी कामवाली शशि से जो पंचायत चुनाव में वोट देकर आई थी, से मैंने पूछा किसे जिता रही हो ?
उसने बड़ी ही निसपृहता से कहा,'भाभी कोई भी जीते हमें क्या ? हम तो जैसे हैं वैसे ही रहेंगे ।
हम तो इस बार देना ही नहीं चाह रहे थे
पर हमारे मर्द ने कहा कि दे दो तो हमने दे दिया । '
' अच्छा किया , अपने मताधिकार का प्रयोग हर इंसान को करना चाहिये ।'
'बस इसीलिये हम चले गये पर ये लोग कोई काम करें तब न ...टी.वी. में इनके करतब देखकर मन खिन्न
हो जाता है । मेरा बेटा कह रहा था जब हम लोग
क्लास में शोर मचाते हैं तो मास्टर जी हमें दंड देते हैं पर ये लोग भी तो संसद में शोर मचाते हैं , इन्हें दंड क्यों दिया
जाता , एेसे अच्छे दिन कैसे आयेंगे ? मैंने उससे कहा बेटा अच्छे दिन ये लोग नहीं वरन् तुम स्वयं अपनी मेहनत से ला पाओगे ...
मेहनत करो
और कुछ बनकर दिखाओ ।'
कहकर वह तो काम में लग गई तथा मैं सोचने लगी कितनी सारगर्भित बात कही इस अनपढ़ ने...काश हमारे राजनेता समझ पाते
कि अब मतदाता जागरूक हो गया है । वह उनके हर कार्य को बारीकी से देख भी रहा है और समझ भी रहा है अगर अभी ये नहीं चेते
तो इनका तो कुछ नहीं बिगड़ेगा पर देश वर्षों पीछे चला जायेगा ।
Thursday, December 10, 2015
सोनिया गांधी और राहुल गांधी को संसद को बाधित करने की बजाय सलमान खान से शिक्षा लेने हुये न्यायपालिका का सम्मान करते हुये कोर्ट के फ़ैसले का इंतज़ार करना चाहिये । मेरा कहने का आशय यह है कि वह कोर्ट में चाहे जो भी हथकंडे अपनायें पर वह स्वयं को विशिष्ट नागरिक दर्शाते हुये संसद की, भारतीय संविधान की अवहेलना न करें ।
Subscribe to:
Posts (Atom)