Friday, March 24, 2017
बड़ी मुददतों के बाद यह पल आया है
बड़ी मुददतों के बाद यह पल आया है,
तारों की झुरमुट में शाम बिताई है ।
भागते रहे चंद काग़ज़ के टुकड़ों के लिये
महफ़िल आज अपनों के संग सजाई है ।
वक़्त रूकता नहीं, रूकना तुम्हें होगा,
जीना है अगर ज़िंदगी,बात आज समझ में आई है ।
जीवन छोटा,बचे हैं चंद पल ही ज़िंदगी के,
जियें अपने लिये भी,ज़िंदगी ने ज़िंदगी से पहचान कराई है ।
@सुधा आदेश
Thursday, March 23, 2017
दर्द
दर्द की पर्त दर पर्त ऐसी जमती गई ,
सहेज कर दर्दे गम बिछोना बना लिया हमने।
कोई डर नहीं, कोई ख्वाहिश नहीं,
हसरतों को मुट्ठी में बंद कर लिया हमने ।
मौत भी आये तो अब कोई गम नहीं
जीने की चाहत को रेत की मानिंद उड़ा दिया हमने।
सिला चाहे जो भी दे यह मतलबी दुनिया
बदरंग चादर बेफिक्री की ओढ़ लिया हमने ।
@सुधा आदेश
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