Saturday, September 14, 2019

हिंदी दिवस

आज हिन्दी दिवस है...मुझे सदा आश्चर्य होता रहा है कि हमारी मातृभाषा के साथ राजभाषा भी हिन्दी है पर हर वर्ष इसके प्रचार और प्रसार के लिए हिन्दी दिवस मनाया जाता है क्यों...?कोई माने या न माने यह सच है कि समय या शासक कोई भी रहा हो पर हिन्दी और हिन्दी साहित्य सदा से हमारे दिलों में राज करता रहा है...। इस सबके बावजूद अंग्रेजी मोह में हमारे ही भाई-बंधुओं ने हिन्दी को इतना दीन-हीन बना दिया है कि प्रत्येक वर्ष हिन्दी दिवस और हिन्दी पखवाड़ा मनाकर हम अपने कर्तव्य की इतिश्री समझने लगते है...यह भी एक संयोग ही है कि यह पखवाड़ा अक्सर पितरपक्ष में ही आता है...इस संयोग से प्रेरित होकर काफी पहले लिखी एक कविता आपके सम्मुख पेश है.... मेरा बारह वर्षीय पुत्र आकर बोला, ' ममा, कल हिन्दी दिवस है मैडम ने कुछ लिखकर लाने के लिए कहा है, प्लीज ममा कुछ लिखवा दो न...। ' मन में कुछ अकुलाने लगा... हिन्दी हमारी मातृभाषा है, राजभाषा है और हम इसके प्रचार और प्रसार हेतु हिन्दी दिवस मना रहे है... क्या धरोहर दे रहे है नवांकुरों को जिनकी जड़ें हम नित्य विदेशी भाषा से सींच रहे है । वर्ष में एक दिन हिन्दी दिवस मनाकर मात्रभाषा को कब्र से खोदकर खड़ा कर रहे है... ठीक उसी तरह जैसे पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पितरपक्ष में एक दिन उनके लिए सुरक्षित रख देते है, उस दिन दान दक्षिणा देकर उन्हें स्मरण कर कर्तव्यों की इतिश्री समझ कर पुनः दिनचर्या में हो जाते है लीन...। @ सुधा आदेश