Friday, March 25, 2016

आख़िर कोई इंसान इतना निर्दयी कैसे हो जाता है

दिल्ली में डा०पंकज नारंग की नृशंस हत्या मन में अनेकों प्रश्न पैदा कर रही है । आख़िर कोई भी इंसान इतना निर्दयी कैसे हो जाता है कि न उसे मासूम बच्चे का रूदन सुनाई देता है और न ही पत्नी की चीख़ पुकार । क्या उसे अपना अपअसमय मान व्यक्ति की जान से अधिक प्यारा होता है ? न जाने यह व्यक्ति की कैसी सोच है ? अगर हम नहीं बदले,बच्चों को अच्छे संस्कार देने में नाकामयाब रहे तो मानवता को कुमहलाने से कोई नहीं रोक पायेगा ।

Thursday, March 24, 2016

ये भटके हुये लोग

कांग्रेस ने वीर सावरकर को ग़द्दार कहा ...कांग्रेस के इन नेताओं को अंडमान जाकर अपनी स्मृति को पैना कर लेना चाहिये । तब शायद ये भटके लोग स्वतंत्रता सैनानियों को ग़द्दार कहने का साहस न कर पायें । हम भारत के सामान्य नागरिक हैं पर हमें देशद्रोही और देशप्रेमी में अंतर करने की समझ है अब इनके इस तरह की हरकतें या बयान विचलित नहीं करते क्योंकि मुझे विश्वास है कि देश का हर अमन पसंद आदमी एेसे लोगों से किनारा कर लेगा जो देश के विकास में बाधक हैं ।

Tuesday, March 22, 2016

मत खेलो ख़ून की होली

नफ़रत की ज्वाला में क्यों जलता मानव मन इंसान हो इंसान ही बने रहो मत खेलो ख़ून की होली । खुदा ने रचा हरा भरा चमन कोयलिया कूके डाली-डाली, छोड़ो मनोमालिन्य... मत खेलो खून की होली । इंसा है तो है गुलशन गुलशन नहीं तो तुम नहीं काश ! समझ पाते यह बात मत खेलो ख़ून की होली । ज़माने की रेत पर अपने निशाँ तो छोड़ो आत्मघाती बम बन, गुमनामी के अंधेरों न खोओ, मत खेलो ख़ून की होली । तुम जागोगे तो मानवता जी उठेगी खेलो ख़ूब खेलो रंगों... प्यार की होली पर मत खेलो खून की होली ।

Monday, March 21, 2016

वचन

ह्रदय को तीर की भाँति चीरते निर्मम कठोर वचन ... घायल ह्रदय को औषधि की तरह भरते निर्मल, कोमल वचन... शब्द वही व्यक्ति वही किंतु अंदाज निराला ।

Tuesday, March 15, 2016

जीवन लंबा सीलन भरी गुफ़ा

जीवन लंबा सीलन भरी गुफ़ा अंधेरा घना । रिश्ते छूटे गहरा सूनापन नेत्र पनीले । दास्ताँ ज़िंदगी करमो का लेखाजोखा क्यों भागे मन ? न दे असीस शत वर्ष जीवन सुखी जीवन ।

Monday, March 14, 2016

जीवन लंबा

जीवन लंबा सीलोन भरी गुफ़ा अंधेरा घना । रिश्ते छूटे गहरा सूनापन नेत्र पनीले । दास्ताँ ज़िन्दगी करमों का लेखा जोखा क्यों भागे मन ? न दे असीस शत वर्ष जीवन सुखी जीवन ।

Saturday, March 5, 2016

कन्हैया के रूप में विपक्ष को शतरंज का एक एेसा मोहरा

कन्हैया के रूप में विपक्ष को शतरंज का एक एेसा मोहरा मिल गया है जिसके भरोसे वह मोदी रूपी आँधी को रोकने की चेष्टा में देश का बुरा भला के साथ देशप्रेम और देशद्रोह में अंतर करना भी भूल बैठे हैं । इनको इतना भी एहसास नहीं है कि देश के हीरो कन्हैया जैसा देश को तोड़ने वाली बात कहने वाला नहीं वह वीर सैनिक है जो विपरीत परिस्थितियों में देश सेवा करते हुये अपने प्राण देने से भी नहीं चूकता । वैसे भी देश की ग़रीबी, बेरोज़गारी केवल नारों से नहीं वरन् करम करने से होगी । कन्हैया जैसे लोग न केवल अपना वरन् अपने जैसे अनेकों छात्रों का भविष्य बरबाद कर रहा है । इनके माता -पिता ने इन्हें यहाँ पढ़ने के लिये भेजा है न कि राजनीति करने । माना इन लोगों में से एक दो राजनेता भी बन जाये पर सफल वही होता है िजसमें पूरवागृह न हो देश की , जनता की नब्ज़ को पहचानता हो वरना वह न केवल देश के लिये वरन् स्वयं की नज़रों में भी नाक़ाबिल बन जायेगा । एक बात और कनहैया को शह दे रहे विपक्षी नेता लोग यह भी भूल गये हैं कि ६८ वर्षों से शासन बी.जे.पी. या मोदी का नहीं वरन् उस कॉंग्रेस का था जिसे कोस-कोसकर ये सत्ता में आये । अभी जुमा -जुमा १८ महीने भी नहीं हुये कि अचानक ये कांग्रेस के साथ खड़े हो गये। आख़िर इनकी बेताबी का कारण क्या है ? एक आम आदमी समझ नहीं पा रहा है । उसने अपने मताधिकार का प्रयोग कर सत्ता में यह सोचकर परिवर्तन किया शायद उसके जीवन में सुधार हो पर ये तथाकथित बुद्धिजीवी चुनी हुई सरकार को काम ही नहीं करने दे रहे हैं । देश की जनता इनसे समय पर सवाल अवश्य पूछेगी ...।

Friday, March 4, 2016

तिहाड़ जेल से अंतरिम ज़मानत पर लौटा कन्हैया ने जे.एन.यू.कैंपस में अपने भाषण में कहा कि

तिहाड़ जेल से अंतरिम ज़मानत पर लौटा कन्हैया ने जे.एन.यू. कालेज कैम्पस अपने भाषण में कहा कि उसका आदर्श अफ़ज़ल गुरू नहीं वरन् हैदराबाद का छात्र रोहित बेमुला है । रोहित भी हैदराबाद कालेज कैंपस में कुछ एेसा ही गतिविधियों में लीन था । सबसे बड़ी बात रोहित ने आत्महत्या की थी...वह अपने मिशन में असफल रहा था । कन्हैया अब शायद उसके मिशव को पूरा करना चाहता है । वाह क्या बात है जिस देश में ये पले बढ़े अब उसी को तोड़ने की बात करने लगे । ईश्वर इन जैसे लोगों को सुबुद्धि दे क्योंकि देश तो ये हैं, इनकी स्वतंत्रता है वरना इनके लिये ताज़ी हवा में साँस लेना भी मुश्किल न हो जाये । देश की जनता और सेना सब सह सकती है पर देश से ग़द्दारी नहीं ।

Wednesday, March 2, 2016

काफ़ी दिनों से एक पोस्ट फ़ेसबुक और वाट्स अप पर वायरल हो रही है ...अगर लड़कियों को

काफ़ी दिनों से फ़ेस बुक और वाट्स अप पर एक पोस्ट वायरलेस हो रही है ...अगर लड़कियों को माता-पिता को रखने का हक़ होता तो मेरा दावा है दोस्तों कि किसी भी माता-पिता को वृद्धाश्रम न जाना पड़ता । मुझे समझ में नहीं आता कि यह नारी का मानवर्धन है या उसका शोषण !! आख़िर एक ही नारी एक ही है...वही किसी की बेटी है तो वही किसी की बहू भी है । अगर बेटी के रूप में वह माता-पिता को वृद्धाश्रम जाने से रोक सकती है तो बहू के रूप में क्यों नहीं !!! शायद इसी मानसिकता ने बहू को कभी घर का सदस्य नहीं समझा , अपना सर्वस्व न्योछावर करने के बावजूद सदा उसे पराया ही मानते रहे । कुछ घरों में तो पारिवारिक मीटिंगों में भी उसे सम्मिलित नहीं किया जाता । उसकी इच्छा या आपत्ति का भी कोई महत्व नहीं होता । इस पोस्ट के द्वारा न केवल लड़कियों वरन् लड़कों को भी अपमानित करने का प्रयास है । आख़िर माता-पिता लड़के लड़कियों को समान रूप से पालते हैं तो क्या वृद्धावस्था में माता पिता की सेवा करने का दोनों का हक़ नहीं है ? अगर किसी लड़की को लगता है कि उसके माता-पिता की उचित देखभाल नहीं हो रही है तो वह क्यों आगे नहीं बढ़ती ? हक़ छीना भी जा सकता है पर इसके लिये व्यर्थ दोषारोपण के बजाय नीयत साफ़ रखनी होगी । माता-पिता सिर्फ़ लड़कों की ज़िम्मेदारी नहीं लड़कियों की भी हैं । वैसे भी आज मनुष्य की औसत आयु बढ़ गई है...एकल परिवार होने के कारण समस्या बढ़ गई है एेसे में अगर दोनों थोड़ी-थोड़ी ज़िम्मेदारी उठा लें तो किसी को कोई परेशानी न हो तथा उनका बुढ़ापा भी आराम से कट जाये ।