कल एक न्यूज़ चैनल में एक मौलवी कह रहे थे कि तलाक़ के बाद औरत हरामज़ादी हो जाती है । एक आम आदमी की बात तो छोड़िये एक मौलवी की
औरत के प्रति इतनी घृणित सोच...ओफ !...बेहद शर्मनाक । केवल क़ानून बनाने से कुछ नहीं होगा ।
औरतें चाहे किसी भी धर्म या सम्प्रदाय की हों उन्हें स्वयं को को इतना सबल एवं जागरूक बनाना होगा जिससे कि वे निज पर होते अत्याचार के प्रति आवाज़ उठा सकें ।