Sunday, July 27, 2014

जीवन एक रंगमंच है तथा हम सब उसकी कठपुतलियाँ...यह कथन सोलह आने सच प्रतीत होता है जब हम अपने आस-पास के किरदारों को नाटक करते देखते है, कभी-कभी वे अपनी अति नाटकीयता के कारण हँसी के पात्र बनने लगते है...पर फिर भी अपनी मनोवृति के कारण इस खुशफहमी में जीते है कि उनके नाटक ( तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश करने की कोशिश )का किसी को पता नहीं चला...।