कामना
सिले ओंठ
संज्ञाशून्य मस्तिस्क
अराजक तत्वों का
देख वहशी, तांडव नर्तन
क्या भूलूँ, क्या याद करूँ ?
असहमति चाहे जितनी हो
गण के तंत्र से
तिरंगे का अपमान
अकल्पनीय ही नहीं
असहनीय है ।
काश याद करते
अमर शहीदों का बलिदान
जिन्होंने तिरंगे की
आन बान शान के लिए
जीवन अर्पित कर दिया ।
जार-जार रोती भारत माँ
छिन्न-भिन्न कर
भाल को उसके
अट्टहास करते तुम
हो ही नहीं सकते तुम भारतवासी !!
आम नागरिक मैं
रग-रग में बहता खून
देशप्रेम का…
शर्म आती है
कैसे कहूँ आज
शुभ गणतंत्र दिवस ?
भूल पायेंगे न कभी हम
चाहता है दिल यही
हर वर्ष आये यह शुभ दिन
न हो हमारी भावनाओं पर कुठाराघात
लहर-लहर लहराये तिरंगा प्यारा
मान हमारा, शान हमारा ।
आज के दिन हमें
हमारे अधिकार मिले
कर्तव्य मिले
भूले कर्तव्य, बस अधिकार
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता रहे याद ।
देश का मान रखना है
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का
दुरुपयोग से बचें
अधिकारों की मांग के साथ
कर्तव्यों का भी रखें ध्यान ।
पल्लवित और पुष्पित
होगा तभी हमारा गणतंत्र ।
विश्व विजयी होगा देश हमारा
यही इस दिल की कामना
यही इस दिल की कामना ।
धन्यवाद
सुधा आदेश