Wednesday, July 13, 2016

एक निर्जीव वस्तु के लिये सजीव,निर्दोष कली को सज़ा क्यों ?

सज़ा क्यों फिर सुना एक नवविवाहिता को उसके सुहाग के लाल जोड़े ने शोला बनाकर जला डाला । हाथ की लाल मेंहदी का रंग अभी उतरा भी न था कि उसके माँग के लाल सिंदूर ने जन्म-जन्म साथ निभाने का वायदा तोड़ डाला। अग्नि के सात फेरों के साथ आकार लेते अरमान फूल बनने से पूर्व ही रौंद डाले गये । एकांत कोने में पड़ी माथे की गोल-गोल बिंदिया चीतकार कर उठी एक निर्जीव वस्तु के लिये सजीव, निर्दोष कली को सज़ा क्यों सज़ा क्यों ?

No comments:

Post a Comment