Tuesday, July 12, 2016
देश प्रेम और देश द्रोह के बीच जंग जारी है
देश प्रेम और देश द्रोह के बीच जंग जारी है ,
देशद्रोही नारे सुनकर, खून न खोले वह खून नहीं पानी है ।
देशप्रेम माँ के खून की तरह रग-रग में समाया है,
सिर्फ़ कहने से ही कोई देशप्रेमी बन नहीं जाता ।
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर अनाचार बंद करो,
उच्च श्रंखलता पर अंकुश ज़रूरी,माँ ने नहीं सिखाया तो अब सीखो ।
नैतिकता का नहीं ज़रा भी नहीं भान, कैसे हो तुम देशवासी,
जिनकी जड़ो में लगा हो धुन, वह क्या देंगे माँ भारती को सम्मान ।
अब तो चेतों, अभी न संभले तो कब सँभलोगे,
जब देश ही नहीं रहेगा तो तुम कहाँ रहोगे ?
मानव हो मानवीय गुण अपनाओ...
छोड़ कर बंदूक़ें प्रेम की गंगा बहाओ ।
तुम सुधरोगे देश सुधरेगा...
विश्व के पटल नाम भारत का होगा ।
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