Monday, January 25, 2016
सुर से सुर मिलायें ...
आओ नमन करें जिन्होंने संविधान बनाया था,
सर्व धर्म समभाव सिखाकर पाठ रहना सिखाया था ।
गांधी नेहरू को हम भूल चुके,सुभाष भी अब याद नहीं,
मुँह में राम बग़ल में छुरी, यह तो हमारी संस्कृति नहीं ।
गौतम बुद्ध , महावीर की कर्मस्थली में
गौडसे कभी आदर्श बन नहीं सकता ।
छिप कर करे जो वार वह कायर है
स्वतंत्रता सेनानी है या जेहादी समझना होगा ।
टुकड़ों -टुकड़ों में बँटकर कोई जी नहीं पाया
हम पंक्षी है एक डाल के, समझना होगा ।
ख़ून चाहे हिंदू का बहे या मुसिलम सिख ईसाई का
जिस्म एक है, दर्द सबको होगा ।
एक साथ एक समाज में रहकर भी
साथ न रह पाये, दोष हमारा होगा ।
नारे भले लगा लें एकता के
स्वार्थ गर मन में , भला नहीं किसी का होगा ।
टुकड़ों -टुकड़ों में बँटा मानव
न सिर्फ़ समाज का अपना भी अहित करेगा ।
बैर भाव त्याग , शत्रु को भी गले लगायें,
सुर से सुर मिलायें, चलो आज नया भारत बनायें ।
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