Wednesday, March 2, 2016

काफ़ी दिनों से एक पोस्ट फ़ेसबुक और वाट्स अप पर वायरल हो रही है ...अगर लड़कियों को

काफ़ी दिनों से फ़ेस बुक और वाट्स अप पर एक पोस्ट वायरलेस हो रही है ...अगर लड़कियों को माता-पिता को रखने का हक़ होता तो मेरा दावा है दोस्तों कि किसी भी माता-पिता को वृद्धाश्रम न जाना पड़ता । मुझे समझ में नहीं आता कि यह नारी का मानवर्धन है या उसका शोषण !! आख़िर एक ही नारी एक ही है...वही किसी की बेटी है तो वही किसी की बहू भी है । अगर बेटी के रूप में वह माता-पिता को वृद्धाश्रम जाने से रोक सकती है तो बहू के रूप में क्यों नहीं !!! शायद इसी मानसिकता ने बहू को कभी घर का सदस्य नहीं समझा , अपना सर्वस्व न्योछावर करने के बावजूद सदा उसे पराया ही मानते रहे । कुछ घरों में तो पारिवारिक मीटिंगों में भी उसे सम्मिलित नहीं किया जाता । उसकी इच्छा या आपत्ति का भी कोई महत्व नहीं होता । इस पोस्ट के द्वारा न केवल लड़कियों वरन् लड़कों को भी अपमानित करने का प्रयास है । आख़िर माता-पिता लड़के लड़कियों को समान रूप से पालते हैं तो क्या वृद्धावस्था में माता पिता की सेवा करने का दोनों का हक़ नहीं है ? अगर किसी लड़की को लगता है कि उसके माता-पिता की उचित देखभाल नहीं हो रही है तो वह क्यों आगे नहीं बढ़ती ? हक़ छीना भी जा सकता है पर इसके लिये व्यर्थ दोषारोपण के बजाय नीयत साफ़ रखनी होगी । माता-पिता सिर्फ़ लड़कों की ज़िम्मेदारी नहीं लड़कियों की भी हैं । वैसे भी आज मनुष्य की औसत आयु बढ़ गई है...एकल परिवार होने के कारण समस्या बढ़ गई है एेसे में अगर दोनों थोड़ी-थोड़ी ज़िम्मेदारी उठा लें तो किसी को कोई परेशानी न हो तथा उनका बुढ़ापा भी आराम से कट जाये ।

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