Wednesday, February 10, 2016

जे.एन.यू. में आतंकवादी

जे.एन.यू.में आतंकवादी अफ़ज़ल गुरू के समर्थन में भारत विरोधी नारे लगाये गये...समझ में नहीं आता यह कैसी मानसिकता है ? इस मानसिकता को कौन हवा दे रहा है क्या यह अभिव्यक्ति की आज़ादी का विकृत रूप नहीं है ? जिस देश का युवा देश विरोधी गतिविधियों में संलग्न हो वह विकास के पथ पर कैसे अग्रसर हो पायेगा ? सबसे बड़ा प्रश्न मेरे मन को मथ रहा है कि छात्रों का यह कृत्य राजद्रोह की श्रेणी में नहीं आयेगा ? आिखर अभिव्यक्ति की आज़ादी के नाम पर हम कब तक अराजक तत्वों की राष्ट्र विरोधी हरकतों को सहन करते रहेंगे ।

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