अगर आप अपने विचार किसी को तर्कसम्मत तरीके से नहीं समझा सकते तो अपशब्दों के द्वारा अपने कुंठित विचारों को प्रकट कर उत्तेजना उत्पन्न कर स्वयं को सही सिद्ध करने का प्रयास करने लगते हैं।
यही राहुल गाँधी और उनकी टीम के साथ हो रहा है। वह ठोस मुद्दे उठाने या अपने संगठन में कमजोरी ढूंढने की बजाय कभी चौकीदार चोर है कहते हैं तो कभी EVM को दोषी ठहराते हैं। एक तरफ SIR का विरोध तथा दूसरी फर्जी वोटर लिस्ट का राग। अब ‘वोट चोर गद्दी छोड़ो’ का नारा।
आखिर कांग्रेस को मतदाताओं का तिरस्कार करने तथा धमकाने का अधिकार किसने दिया?
यह तो वही बात तुम मुझको न चाहो तो कोई बात नहीं, किसी दूसरे को चाहोगी तो मुश्किल होगी।
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