Friday, June 13, 2025

स्त्री तुम...

 मेरी डायरी का एक पृष्ठ...


स्त्री तुम…


स्त्री तुम सशक्त बनो 

पर इतनी भी नहीं 

कि भूल जाओ 

अपनी संवेदनशीलता

मर्यादा, कर्तव्य

सहनशीलता, विनम्रता

रिश्तों को गूंथने की 

देवीय कला।


तुम सशक्त बनो

मन से तन से 

बनो पिता की शक्ति 

माँ जैसी त्यागिनी

जल, थल, वायु को 

मुट्ठी में बंद करने की कला

देश की प्रगति का 

आधार बनो…


स्त्री तुम सीखो 

जुडो, कराटे, बॉक्सिंग 

पुरुषों के कदम से कदम 

मिलाकर चलने की योग्यता 

प्रतिस्पर्धा करो 

स्वस्थ स्पर्धा 

पर मत सीखना 

अपना ही सिंदूर 

उड़ाने की कला…


सुधा आदेश 

बंगलुरु

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