आजकल sleep divorce और grey divorce की बहुत चर्चा हो रही है। Sleep divorce अर्थात एक ही घर में रहते हुए अच्छी नींद (किसी को डिस्टर्ब न हो ) लेने के लिए युगल अलग -अलग सोने लगते हैं जबकि ग्रे डिवोर्स का मतलब है, जब कोई दंपती 50 साल या उससे ज़्यादा उम्र में तलाक लेता है। इसे सिल्वर स्प्लिटर्स या डायमंड तलाक भी कहा जाता है। ग्रे डिवोर्स शब्द का इस्तेमाल बीते कुछ सालों में ही लोकप्रिय हुआ है. हालांकि, अब 15-20 साल की शादी के बाद अचानक रिश्ता टूटने के मामलों को भी ग्रे डिवोर्स कहा जाने लगा है।
आज के भौतिकता वादी परिवेश के कारण रिश्तों में आती संवेदनहीनता, बदलती परिस्थितियों में बदलती मानसिकता के ये by product हैं। सच तो यह है कि इंसान आज इतना आत्मकेंद्रित होता जा रहा है कि उसमें हम की जगह मैं का तत्व अधिक प्रभावशाली हो गया है। वह शायद यह नहीं जानता कि मनुष्य भले आज अकेला रह ले लेकिन एक समय ऐसा आता है ज़ब सारा रुपया पैसा धरा रह जाता है, व्यक्ति की आँखें अपनों को खोजती हैं। ज़ब कोई रिश्ता ही नहीं रहेगा तो अपना कोई कहाँ रहेगा?
आज लोग बड़े गर्व से कहते हैं कि हमें किसी की आवश्यकता नहीं हैं। सीनियर सिटीजन के लिए बनाये जा रहे रिटायरमेंट होम में फ्लैट लेकर रह लेंगे या हम तो ज़ब तक चलेगा अलग ही रहेंगे क्योंकि वे समझौता नहीं करना चाहते लेकिन मैं कई ऐसे लोगों को जानती हूँ जिन्हें अंतिम समय में बच्चों के पास आना पड़ा, उनकी सहायता लेनी पड़ी।
भूत और भविष्य के दायरे से मुक्त वर्तमान में जीने वाले यही सोचते हैं कि उन्हें कभी किसी की आवश्यकता नहीं पड़ेगी लेकिन वे भूल जाते हैं कि भले ही इंसान अकेला आता है, अकेला ही जाता है किन्तु परिपूर्ण जीवन का एहसास रिश्तों के बीच रहते हुए ही मिलता है। राष्ट्रकवि मैथिली शरण गुप्त की कविता ‘मनुष्यता’ की पंक्तियाँ आज भी उतनी ही प्रेरक है जितनी कल थी…
यही पशु–प्रवृत्ति है कि आप-आप ही चरे
वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे।
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