वास्तव में केजरीवाल एक अजूबा ही है। नाम आम आदमी पार्टी और रुतबा चाहते हैं खास का। ये कांग्रेस के भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ते हुए नई तरह की राजनीति की शुरुआत करने आये थे किन्तु इन्होंने प्रारम्भ से ही मोदी सरकार के खिलाफ न केवल झंडा उठाया वरन उनके खिलाफ बनारस से उम्मीदवार भी बने। यह तो देश का सौभाग्य है कि लोगों ने इन्हें नहीं वरन मोदी को चुना।
इनकी पार्टी सिर्फ देश विरोधियों के साथ मिलकर अराजकता फैलाना चाहती है। भ्रष्टाचार के आरोप में पकड़े गये केजरीवाल ने संविधान कि आड़ लेकर पद त्याग भी नहीं किया। उससे भी बड़ी बात यह हुई कि सर्वोच्च न्यायालय से इन्हें अंतरिम जमानत भी मिल गई।
कोरोना काल में ऑक्सीजन को लेकर हाय तौबा से लेकर शराब कांड के बाद अब स्वाति मालीवाल के साथ घटना…और अब एक नया शिगुफा कि भारतीय जनता पार्टी उन पर हमला करवा सकती है। इसके तार इतने लम्बे जुड़े हैं कि अमेरिका और जर्मनी ने ने इसकी गिरफ्तारी के विरुद्ध आवाज़ उठाई। ख़ालिस्तानियों से जिसे फंड मिल रहा हो, C J I, के मित्र जिनके वकील हों, उन्हें भला अंतरिम बेल क्यों नहीं मिलती?
वैसे भी क़ानून अंधा है। उन्हें जमानत देने से पूर्व सुप्रीम कोर्ट के जजों ने E D के वकीलों कि दलीलों पर भी ध्यान देना मुनासिब नहीं समझा। आज तो सुप्रीम कोर्ट के पास V I P लोगों के केसेस सुनने के लिए समय है जबकि अन्य लोगों के लिए नहीं…।
मन में बहुत अफ़सोस होता है किन्तु विवश हैं। यह कैसे नियम हैं कि विधायिका, कार्य पालिका का विरोध कर सकते हैं किन्तु न्याय पालिका का नहीं चाहे वह किसी को भी दोषी बना दे या किसी को भी छोड़ दे। उस पर यह आग्रह कि आप सभी के निर्णय पर विश्लेषण का स्वागत है।
अगर ऐसी ही पार्टियां सत्ता में आईं तो न जाने देश की दशा और दिशा क्या होगी।
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