सारा सच
स्त्री बेटी है, बहू है
पत्नी है, माँ भी है बिडम्बना यह कैसी
नहीं है समाज में
उसका कोई अस्तित्व
यही है सारा सच ।
स्त्री ही स्त्री की दुश्मन
कभी बेड़ियों, कभी परम्पराओं में
जकड़तीअपनी ही
बहू, बेटियों को
यही है सारा सच ।
लक्ष्मी,सरस्वती
दुर्गा भी वह
नहीं पहचान पाई
निज में छिपे निज अस्तित्व को
यही है सारा सच ।
स्त्री कमजोर नहीं
जिस दिन पहचानेगी
अपने अधिकार
नहीं रहेगी मोहताज
आशियाना पा ही लेगी
यही है सारा सच ।
@सुधा आदेश
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