Tuesday, January 11, 2022

.सारा सच

 सारा सच


स्त्री बेटी है, बहू है 

पत्नी है, माँ भी है बिडम्बना यह कैसी

नहीं है समाज में

उसका कोई अस्तित्व

यही है सारा सच ।


स्त्री ही स्त्री की दुश्मन

कभी बेड़ियों, कभी परम्पराओं में 

जकड़तीअपनी ही 

बहू, बेटियों को

यही है  सारा सच ।


लक्ष्मी,सरस्वती 

दुर्गा भी वह

नहीं पहचान पाई

निज में छिपे निज अस्तित्व को

यही है सारा सच ।


स्त्री कमजोर नहीं

जिस दिन पहचानेगी

अपने अधिकार

नहीं रहेगी मोहताज

आशियाना पा ही लेगी

यही है सारा सच ।


@सुधा आदेश


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