Monday, September 3, 2018

नाग नथैया, कृष्ण कन्हैया

नाग नथैया, कृष्ण कन्हैया, गाय चरइया, रास रचिया, कर मुरली साजे, पग पैजनियां बाजे अब तो आओ दरस दिखाओ छिपे कहाँ मुरलीधर प्यारे राह देखे सारा जमाना... घट-घट छाई घटा मतवाली, रिमझिम बरस रही बरखा प्यारी, मुरली की धुन को तरसें सखियां सारी, अब तो आओ, दरस दिखाओ... छिपे कहाँ मुरलीधर प्यारे राह देखें चितचोर तुम्हारी... चहुँ ओर छाया घना अंधेरा पग-पग पसरे अजगर चाहें डसना अब तो है बस तेरा ही सहारा अब तो आओ दरस दिखाओ छिपे कहाँ मुरलीधर प्यारे राह तकती अखियाँ हमारी ... दिया था तुमने प्यार का संदेश, लूट खसोट बना जमाने का चलन, ईमानदारी का नहीं नामोनिशान, अब तो आओ दरस दिखाओ छिपे कहाँ मुरलीधर प्यारे जन-जन की टूटी आस बंधी तुमसे... जन्माष्टमी की अनेकानेक शुभकामनाएं... @सुधा आदेश

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