Monday, September 10, 2018

कमज़ोर नहीं हैं बेटियाँ

हमारी बेटियाँ कमज़ोर नहीं हैं बेटियाँ कमज़ोर बनाते हैं हम उन्हें यह न करो, वह न करो के बंधनों में बाँधकर । लड़कों को तो नहीं टोकते,रोकते लड़के हैं ग़लती हो गई, कर देते हैं सारे गुनाह माफ़... काश !लडकियों से भी यही कह पाते । शरीर को शरीर ही रहने देते पवित्रता ,अपवित्रता से न जोड़ते, चिड़िया सा चहचहाने,कोयल सा गुनगुनाने देते, तब हमारी बेटियाँ कमज़ोर न होतीं । सृष्टि की जन्मदातरी,सहनशीलता समाई जिसकी रग-रग में ,कमज़ोर हो नहीं सकती , हमें बदलना होगा,बेटियों के प्रति नज़रिये को जब नर अपवित्र नहीं तो नारी क्यों ? सोच बदल पाये गर समाज की हम दुष्कर्म नारी के लिये कलंक नहीं, यातना नहीं ,बोझ नहीं, अभिशाप नहीं, सिरफ हादसा होगा, सिर्फ़ एक हादसा । @सुधा आदेश

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