कोरोना की दूसरी लहर :दोषी कौन ?
कोरोना महामारी ने सारा जन-जीवन अस्तव्यस्त कर दिया है । वैक्सीन के साथ मास्क, दो गज की दूरी तथा सेनिटाइजर आज उतने ही आवश्यक हो गए हैं जितनी जीने के लिए शुद्ध हवा या दूसरे शब्दों में आक्सीजन ।
दुख तो इस बात का है सब कुछ जानते हुए भी इंसान नासमझ बना हुआ है । जरा सी छूट मिलते ही वह ऐसा व्यवहार करने लगता है जैसे मास्क या दूरी उसके जीवन के लिए आवश्यक नहीं वरन बोझ हैं जो उस पर जबर्दस्ती थोपी जा रही हैं । अभी दूसरी लहर थमी भी नहीं है कि कुछ लोग कहने लगे हैं कि अभी कोरोना के केस कम हैं चलो कहीं घूम आते हैं । शायद पर्यटन स्थलों, बाजारों में लोगों की भीड़ इसी मानसिकता के परिणाम स्वरूप हैं ।
यद्यपि यह अभी तक सुनिश्चित नहीं हो सका है कि यह वायरस आदमियों द्वारा निर्मित जैवीय हथियार है या मानव द्वारा प्रकृति के दोहन से उत्पन्न जीवाणु...किन्तु रोकधाम के उपायों को ठेंगा दिखाता इंसान ही इस जीवाणु के बार-बार पनपने का दोषी है ।
सुधा आदेश
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