Friday, September 9, 2016

सासू माँ को विनम्र श्रद्धांजलि ...

मेरी सासू माँ... आज उनको गये हुए 15 दिन हो गए पर मन है कि वस्तुस्तिथि को स्वीकार ही नहीं कर पा रहा है । लगता है वे कहीं छिप गई हैं, थोड़ी देर में आ जायेगी । काश यह संभव हो पाता ... जिंदगी को चलना है वह तो चलेगी ही पर इतना विश्वास है कि यादों के रूप में सदा हमारे आस पास रहेंगी । मैंने अपना कहानी संग्रह आत्ममंथन उन्हें समर्पित किया था, इन शब्दों द्वारा उन्हें हमारी श्रद्धांजलि अर्पित है ... समर्पित उनको जो जन्म की नहीं कर्म की माँ बनी । संस्कारों की धरोहर सहेजे कर्मपथ पर लीन स्वयं भी चलीं हमें भी प्रेरित किया । आशीर्वचनों के साथ वरदहस्त सदा रहे दिल में बस यही कामना । शत-शत अभिनन्दन माँ तुमको सदा सर्वदा अटूट यही हमारी भावना । सुधा आदेश

No comments:

Post a Comment