Sunday, July 19, 2015
पुस्तकें मेरा जीवन
पुस्तकें मेरा जीवन
मेरे जैसे व्यक्ति जो पुस्तकों में अपनी खुशियाँ खोजते ही नहीं पाते भी हें, के लिये पुस्तकों से बढ़कर मित्र, हमसफर, हमराही कोई दूसरा नहीं है । पुस्तकें हंसाती भी है और रुलाती भी है । कभी-कभी मन मस्तिष्क को झिझोड़कर कुछ कर गुजरने के लिये भी प्रेरित करती है।
पुस्तकें है तो आप एकाकी नहीं...अवसादग्रस्त हों, उदास हो या मनभटक रहा हो तो उठा लीजिये मनपसंद पुस्तकें...अवसाद भाग जाएगा, उदासी का नामोनिशान नहीं रहेगा तथा मन एकाग्र हो जाएगा ।
पुस्तक प्रेमी के लिये पुस्तक नहीं तो कुछ भी नहीं...एकांत उसे दबोचेगा नहीं, कोलाहल परेशान नहीं करेगा । उम्र का कोई भी पड़ाव हो,पुस्तकों से नाता मत तोड़िए ...जीवन रसमय, शांतिमय एवं मधुर होता जाएगा ।
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