मन पर हमारा अपना ही वश नहीं हे क्यों....हम स्वयं से ही सदेव क्यों लड़ते रहते हे....क्यों हम अपनी स्तिथि से संतुष्ट रह paate....
यह सच हे की जो व्यक्ति अपनी स्तिथि से संतुष्ट नहीं होता व्ही जिन्दगी में आगे बढ़ता हे पर आवश्यकता से अधिक असंतुष्टि व्यक्ति को दुखी ही करती हे अतः नकारात्मक सोच को त्याग कर कर्म करते रहिये आप एक ऐसी आत्मिक संतुष्टि पायेगे की उसके सामने हर दुःख कम लगने लगेगे....
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