Thursday, December 8, 2016

आज नोट बंदी चर्चा का विषय बनी है ...

आज नोटबंदी चर्चा का विषय बनी है । यह सच है कि यह देश हित में लिया अभूतपूर्व फ़ैसला है पर आश्चर्य तो इस बात का है कि आम जनता से अधिक हमारे विपक्षी दल परेशान हैं शायद उनकी रोज़ी रोटी पर कुठाराघात हुआ है तभी उन्होंने अपनी सारी क्षमता इस मिशन को फ़ेल करने में लगा दी है पर वे भूल गये हैं आम नागरिक उनकी रग-रग से वाक़िफ़ है अत:वह उनकी अनर्गल बातें सुनने की अपेक्षा अपने प्रधानमंत्री को कुछ समय देना चाहती है ।

Monday, November 7, 2016

किसी भी परिस्थिति में आत्महत्या जायज़ नहीं

विपरीत परिस्थिति में आत्महत्या को जायज ठहराने वाले, उसका महिमा मंडन करने वाले शायद यह भूल जाते हैं कि आत्महत्या करना कायरता की निशानी है । उस पर दिल्ली सरकार का एक करोड़ देने का फ़ैसला...कहीं एेसा करके हम लोगों को उकसाने का काम तो नहीं कर रहे हैं । आख़िर परिवार के लिये समर्पित व्यक्ति अपने परिवार को सुरक्षित भविष्य देने के लिये इतना तो कर ही सकता है ।

Sunday, October 30, 2016

प्रत्येक वर्ष आता है दीप पर्व

प्रत्येक वर्ष आता है दीप पर्व बुराई पर सच्चाई, नफरत पर प्यार की जीत का लेकर सन्देश । प्रत्येक वर्ष हम करते हैं प्रतिज्ञा मन के अंधकार को मिटाने का जन-जन के ह्रदय को ज्ञान के दीप से आलोकित करने का । पर न स्वयं को बदल पाते हैं न सामाजिक वातावरण को इंसान हैं हम पाषाण नहीं फिर विवशता क्यों और किसलिये ? आओ एक कदम तुम बढ़ाओ एक कदम मैं बढ़ाऊं प्यार का एक दीप मैं जलाऊँ एक दीप तुम जलाओ । सीमा पर सैनिक देते पहरा समाज के प्रहरी बनो तुम हर दिल में अपनत्व की रसधार बहे एक मुकम्मल जहाँ ऐसा बनायें । शुभ दीपावली @सुधा आदेश

Tuesday, October 18, 2016

है दीप शिखा

हूँ दीप शिखा चौथ का चाँद खेले आंखमिचौली बेचैन नारी । दिखा चाँद तन-मन हुलासा तपस्या पूर्ण । अजब रीति जली जिसके लिए तोड़े स्वप्न । भग्न हृदय जोड़ना सीखा मैंने हारूँगी नहीं । चलूंगी संग तू है मेरा, मैं तेरी मेरा विश्वास । न ले परीक्षा मोम की नहीं नारी है दीपशिखा । @ सुधा आदेश करवा चौथ की शुभकामनायें...

Tuesday, October 4, 2016

जिस देश के नेताओं की रगों में सिर्फ़ सियासत है, सोच विकृत हो वहाँ इस तरह के आरोप लगेंगे ही । अब तो यही लगता है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता इस देश को ले डूबेगी !!अगर केजरीवाल , संजय निरूपम जैसे नेताओं की नकेल कस दी जाये तो पाकिस्तान विश्व के नक़्शे से स्वयमेव ही मिट जायेगा ।

Saturday, October 1, 2016

1990 मे सयुक राष्ट्र की आम सभा मे 1 अक्तूबर को वृद्ध जन दिवस के रूप मे मनाने की घोषणा हुई थी। इसका उद्देश्य दुनिया भर के वृद्ध जनों की और दुनिया का ध्यान आकर्षित करना था तबसे इस दिन को वृद्ध जन दिवस के रूप मे मनाया जाता है पर लगता है यह दिन भी सिर्फ कागजों में सीमित होकर रह गया है अगर हम और उनके लिए कुछ नहीं कर सकते तो आज के संकल्प ही लें कि हम सदा अपने बुजुर्गो का आदर करेंगे,उनके मानसम्मान को कभी ठेस नहीं पहुंचायेंगे....मत भूलिए वृद्धावस्था अभिशाप नहीं वरदान है जीवन का,अनुभवो से गर सीख न सके निष्फल होगा जीवन अपना.....। इसके साथ ही वृद्ध जनों को भी चाहिए कि वे अपने अनुभवों से भावी पीढ़ी को लाभान्वित करें न कि व्यर्थ टोका-टोकी कर निज संतानों का जीवन दुष्कर बनायें । जब तक वे समय के साथ स्वयं को नहीं बदलेंगे तब तक वह न स्वयं सुखी रह पायेंगे न ही अपने अंशों के साथ न्याय कर पाएंगे । स्वयं भी जियें और दूसरों को भी जीने दें का अगर सिद्धान्त अपना लें तो वृद्धावस्था बोझ नहीं वरन जीवन को जीने का एक नया आयाम सिद्ध होगी ।

Wednesday, September 14, 2016

हिन्दी दिवस

आज हिन्दी दिवस है...मुझे सदा आश्चर्य होता रहा है कि हमारी राष्ट्रभाषा के साथ राजभाषा भी हिन्दी है पर हर वर्ष इसके प्रचार और प्रसार के लिए हिन्दी दिवस मनाया जाता है क्यों...यह सच है शासक कोई भी रहा हो पर हिन्दी और हिन्दी साहित्य सदा से हमारे दिलों में राज करता रहा... हमने हिन्दी को इतना दीन-हीन बना दिया है कि प्रत्येक वर्ष हिन्दी दिवस और हिन्दी पखवाड़ा मनाकर हम अपने कर्तव्य की इतिश्री समझने लगते है...यह भी एक संयोग ही है कि यह पखवाड़ा अक्सर पितरपक्ष में ही आता है...इस संयोग से प्रेरित होकर एक कविता आपके सम्मुख पेश है.... मेरा बारह वर्षीय पुत्र आकर बोला, ' ममा, कल हिन्दी दिवस है मैडम ने कुछ लिखकर लाने के लिए कहा है, प्लीज ममा कुछ लिखवा दो न...। ' मन में कुछ अकुलाने लगा... हिन्दी हमारी मात्रभाषा है, राजभाषा है और हम इसके प्रचार और प्रसार हेतु हिन्दी दिवस मना रहे है... क्या धरोहर दे रहे है नवांकुरों को जिनकी जड़ें हम नित्य विदेशी भाषा से सींच रहे है । वर्ष में एक दिन हिन्दी दिवस मनाकर मात्रभाषा को कब्र से खोदकर खड़ा कर रहे है... ठीक उसी तरह जैसे पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पितरपक्ष में एक दिन उनके लिए सुरक्षित रख देते है, उस दिन दान दक्षिणा देकर उन्हें स्मरण कर कर्तव्यों की इतिश्री समझ कर पुनः दिनचर्या में हो जाते है लीन...।

Friday, September 9, 2016

सासू माँ को विनम्र श्रद्धांजलि ...

मेरी सासू माँ... आज उनको गये हुए 15 दिन हो गए पर मन है कि वस्तुस्तिथि को स्वीकार ही नहीं कर पा रहा है । लगता है वे कहीं छिप गई हैं, थोड़ी देर में आ जायेगी । काश यह संभव हो पाता ... जिंदगी को चलना है वह तो चलेगी ही पर इतना विश्वास है कि यादों के रूप में सदा हमारे आस पास रहेंगी । मैंने अपना कहानी संग्रह आत्ममंथन उन्हें समर्पित किया था, इन शब्दों द्वारा उन्हें हमारी श्रद्धांजलि अर्पित है ... समर्पित उनको जो जन्म की नहीं कर्म की माँ बनी । संस्कारों की धरोहर सहेजे कर्मपथ पर लीन स्वयं भी चलीं हमें भी प्रेरित किया । आशीर्वचनों के साथ वरदहस्त सदा रहे दिल में बस यही कामना । शत-शत अभिनन्दन माँ तुमको सदा सर्वदा अटूट यही हमारी भावना । सुधा आदेश

Monday, August 15, 2016

आज स्वतंत्रता दिवस है हमारी आज़ादी का पर्व

आज स्वतंत्रता दिवस है हमारी आज़ादी का पर्व ... मना लो आज़ादी का जश्न अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर सार्थक या निरर्थक बहस कितनी भी क्यों न कर लो, पर मत भूलना क़ुरबानी शहीदों की तुम्हारे लिये जिन्होंने गोली सीने पर खाई पीठ पर नहीं । ये देश सिर्फ़ उनका ही नहीं तुम्हारा भी है... वे सीमा के प्रहरी हैं तुम देश के चप्पे के प्रहरी बनो ... भूख, ग़रीबी,भ्रष्टाचार , अनाचार के विरूद्ध आवाज़ ही न उठाओ दूर करने का प्रयास भी करो ... तभी हम एक अखंड ख़ुशहाल भारत का स्वप्न पूरा कर पायेंगे । जय भारत, जय हिन्द ... स्वतंत्रता दिवस की अनेकानेक बधाइयाँ @ सुधा आदेश

Wednesday, August 3, 2016

पल बुरे नहीं होते, गर पलों को जीने का लुफ़्त सीख पाते ...

पल बुरे नहीं होते गर पलों को 
जीने का लुफ़्त सीख पाते । 

 माना पलों ने बिगाड़ी हैं सैकड़ों ज़िंदगियों 
 वही पल सँवार भी गया है बिगड़ी ज़िंदगियाँ । 

 हर पल तुम्हारा, नियंता तुम निज ज़िंदगी के 
फिर आक्रोश क्यों, विरक्ति क्यों ? 

 ज़रा सोचो, ज़रा समझो, आगे क़दम बढ़ाओ 
हर पल को क़ैद कर मुट्ठी में नया इतिहास रचाओ ।

Wednesday, July 27, 2016

अरविन्द केजरीवाल का कहना है कि मोदी उन्हें मरवा सकते हैं ...

अरविन्द केजरीवाल का कहना है कि मोदी जी उन्हें मरवा सकते हैं । शायद केजरीवाल और उनकी आम आदमी पार्टी को मोदी फेबिया हो गया है तभी वह अपनी पार्टी में हुई हर समस्या को मोदी से जोड़कर उन्हें दोष देने लगते हैं । शायद उन्हें पता नहीं है कि वह ऐसा करके पढ़े लिखे लोगों को स्वयं से दूर कर रहे हैं । दिल्ली की जनता ने उन्हें इसलिये नहीं चुना था कि वह नकारात्मक राजनीति करने लगें । मोदी का विरोध कर हो सकता है वह मोदी विरोधियों को एकजुट भले कर लें पर इतना उन्हें अवश्य ध्यान रखना चाहिये कि अब लोग जागरूक हो गये हैं वह उनकी चालों में नहीं आने वाले । लोग सिर्फ़ और सिर्फ़ विकास चाहते हैं अनर्गल प्रलाप नहीं ।

Thursday, July 21, 2016

सावन की रीति यही

सावन की रीति यही घन-घन घनघाेर घटा सदियाें से सावन की रीति यही... रिमझिम -रिमझिम रेशमी फुहार हरियाली का गीत यही... मयूर नृत्य, काेयल की कूक मद भरे समां का संगीत यही... सरस सलिल ,सावन मनभावन सकल सखियाें की प्रीति यही ।

Tuesday, July 19, 2016

हमें नाज है अपने जवानों पर

हमें नाज है अपने जवानों पर देश प्रेम का जज़्बा, देश के लिए मरने मिटने की चाहत गर हम सीख पाते तब शायद हम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर अपनी एक अलग दुनिया न रचते, अलग कौम न बनाते । एक सैनिक के परिवार उसके मानवधिकार की बातें न कर एक आतंकी के मानवधिकार की बात न करते... मत भूलो तुम्हारी आजादी तुम्हारी सांसे इन्हीं वीर सैनिकों की देन हैं । कृतज्ञ है रोम-रोम तुम चाहे मानो या न मानो । जय हिंद की सेना ।

हमें नाज है अपने जवानों पर

हमें नाज है अपने जवानों पर देश प्रेम का जज़्बा, देश के लिए मरने मिटने की चाहत गर हम सीख पाते तब शायद हम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर अपनी एक अलग दुनिया न रचते, अलग कौम न बनाते । एक सैनिक के परिवार उसके मानवधिकार की बातें न कर एक आतंकी के मानवधिकार की बात न करते... मत भूलो तुम्हारी आजादी तुम्हारी सांसे इन्हीं वीर सैनिकों की देन हैं । कृतज्ञ है रोम-रोम तुम चाहे मानो या न मानो । जय हिंद की सेना ।

Wednesday, July 13, 2016

एक निर्जीव वस्तु के लिये सजीव,निर्दोष कली को सज़ा क्यों ?

सज़ा क्यों फिर सुना एक नवविवाहिता को उसके सुहाग के लाल जोड़े ने शोला बनाकर जला डाला । हाथ की लाल मेंहदी का रंग अभी उतरा भी न था कि उसके माँग के लाल सिंदूर ने जन्म-जन्म साथ निभाने का वायदा तोड़ डाला। अग्नि के सात फेरों के साथ आकार लेते अरमान फूल बनने से पूर्व ही रौंद डाले गये । एकांत कोने में पड़ी माथे की गोल-गोल बिंदिया चीतकार कर उठी एक निर्जीव वस्तु के लिये सजीव, निर्दोष कली को सज़ा क्यों सज़ा क्यों ?

Tuesday, July 12, 2016

देश प्रेम और देश द्रोह के बीच जंग जारी है

देश प्रेम और देश द्रोह के बीच जंग जारी है , देशद्रोही नारे सुनकर, खून न खोले वह खून नहीं पानी है । देशप्रेम माँ के खून की तरह रग-रग में समाया है, सिर्फ़ कहने से ही कोई देशप्रेमी बन नहीं जाता । अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर अनाचार बंद करो, उच्च श्रंखलता पर अंकुश ज़रूरी,माँ ने नहीं सिखाया तो अब सीखो । नैतिकता का नहीं ज़रा भी नहीं भान, कैसे हो तुम देशवासी, जिनकी जड़ो में लगा हो धुन, वह क्या देंगे माँ भारती को सम्मान । अब तो चेतों, अभी न संभले तो कब सँभलोगे, जब देश ही नहीं रहेगा तो तुम कहाँ रहोगे ? मानव हो मानवीय गुण अपनाओ... छोड़ कर बंदूक़ें प्रेम की गंगा बहाओ । तुम सुधरोगे देश सुधरेगा... विश्व के पटल नाम भारत का होगा ।

Monday, July 11, 2016

निशीथ के गहन अंधकार में

अंधेरों के वलय निशीथ के गहन अंधकार में अतीत की गहराइयों में डूबकर न जाने क्यों हो रही हूँ व्यथित ? अतीत... नैराशय और व्यथा से पूर्ण चाहती हूँ भुलाना परन्तु असंभव छलावा मात्र... रह-रहकर मंडराना मन-मस्तिष्क में अनकही विवशता,बेचैनी... न कब, किस घड़ी अतीत को छोड़ अभिशपत, अग्नि दग्ध ह्रदय को सावन की सुखद सलोनी बूँदों से कर शीतल, भविष्य के सुनहरे स्वप्नों की ओर हो पाऊँगी अग्रसर ।

Sunday, July 10, 2016

संघर्ष का नाम ही तो ज़िंदगी है ...

ज़िन्दगी संघर्ष का नाम ही तो ज़िंदगी है , जीवन के कुछ पलों में जब होती है निराशा लेना चाहिये तब काम धैर्य से क्योंकि ... निराशा के पश्चात ही होता है आशा का प्रादुर्भाव और ... दुख की तपिश से जलते तन-मन को सुख की चन्द्रिका आत्मिक सुकून का कराती है अहसास ।

Friday, July 8, 2016

ज़िन्दगी एक स्वप्न है...

ज़िन्दगी ज़िन्दगी एक स्वप्न है वास्तविकता से दूर, नैराशय के टूटे खंडहरों में दुख और व्यथा से पूर्ण, बहता रहता है जहाँ सुख-दुख का अथाह सागर । सृष्टि के इस महान रहस्य को कोई नहीं जान पाता प्रयत्न करता है यदि कोई स्वयं उलझ जाता है विश्व रूपी पिंजड़े में ।

Friday, March 25, 2016

आख़िर कोई इंसान इतना निर्दयी कैसे हो जाता है

दिल्ली में डा०पंकज नारंग की नृशंस हत्या मन में अनेकों प्रश्न पैदा कर रही है । आख़िर कोई भी इंसान इतना निर्दयी कैसे हो जाता है कि न उसे मासूम बच्चे का रूदन सुनाई देता है और न ही पत्नी की चीख़ पुकार । क्या उसे अपना अपअसमय मान व्यक्ति की जान से अधिक प्यारा होता है ? न जाने यह व्यक्ति की कैसी सोच है ? अगर हम नहीं बदले,बच्चों को अच्छे संस्कार देने में नाकामयाब रहे तो मानवता को कुमहलाने से कोई नहीं रोक पायेगा ।

Thursday, March 24, 2016

ये भटके हुये लोग

कांग्रेस ने वीर सावरकर को ग़द्दार कहा ...कांग्रेस के इन नेताओं को अंडमान जाकर अपनी स्मृति को पैना कर लेना चाहिये । तब शायद ये भटके लोग स्वतंत्रता सैनानियों को ग़द्दार कहने का साहस न कर पायें । हम भारत के सामान्य नागरिक हैं पर हमें देशद्रोही और देशप्रेमी में अंतर करने की समझ है अब इनके इस तरह की हरकतें या बयान विचलित नहीं करते क्योंकि मुझे विश्वास है कि देश का हर अमन पसंद आदमी एेसे लोगों से किनारा कर लेगा जो देश के विकास में बाधक हैं ।

Tuesday, March 22, 2016

मत खेलो ख़ून की होली

नफ़रत की ज्वाला में क्यों जलता मानव मन इंसान हो इंसान ही बने रहो मत खेलो ख़ून की होली । खुदा ने रचा हरा भरा चमन कोयलिया कूके डाली-डाली, छोड़ो मनोमालिन्य... मत खेलो खून की होली । इंसा है तो है गुलशन गुलशन नहीं तो तुम नहीं काश ! समझ पाते यह बात मत खेलो ख़ून की होली । ज़माने की रेत पर अपने निशाँ तो छोड़ो आत्मघाती बम बन, गुमनामी के अंधेरों न खोओ, मत खेलो ख़ून की होली । तुम जागोगे तो मानवता जी उठेगी खेलो ख़ूब खेलो रंगों... प्यार की होली पर मत खेलो खून की होली ।

Monday, March 21, 2016

वचन

ह्रदय को तीर की भाँति चीरते निर्मम कठोर वचन ... घायल ह्रदय को औषधि की तरह भरते निर्मल, कोमल वचन... शब्द वही व्यक्ति वही किंतु अंदाज निराला ।

Tuesday, March 15, 2016

जीवन लंबा सीलन भरी गुफ़ा

जीवन लंबा सीलन भरी गुफ़ा अंधेरा घना । रिश्ते छूटे गहरा सूनापन नेत्र पनीले । दास्ताँ ज़िंदगी करमो का लेखाजोखा क्यों भागे मन ? न दे असीस शत वर्ष जीवन सुखी जीवन ।

Monday, March 14, 2016

जीवन लंबा

जीवन लंबा सीलोन भरी गुफ़ा अंधेरा घना । रिश्ते छूटे गहरा सूनापन नेत्र पनीले । दास्ताँ ज़िन्दगी करमों का लेखा जोखा क्यों भागे मन ? न दे असीस शत वर्ष जीवन सुखी जीवन ।

Saturday, March 5, 2016

कन्हैया के रूप में विपक्ष को शतरंज का एक एेसा मोहरा

कन्हैया के रूप में विपक्ष को शतरंज का एक एेसा मोहरा मिल गया है जिसके भरोसे वह मोदी रूपी आँधी को रोकने की चेष्टा में देश का बुरा भला के साथ देशप्रेम और देशद्रोह में अंतर करना भी भूल बैठे हैं । इनको इतना भी एहसास नहीं है कि देश के हीरो कन्हैया जैसा देश को तोड़ने वाली बात कहने वाला नहीं वह वीर सैनिक है जो विपरीत परिस्थितियों में देश सेवा करते हुये अपने प्राण देने से भी नहीं चूकता । वैसे भी देश की ग़रीबी, बेरोज़गारी केवल नारों से नहीं वरन् करम करने से होगी । कन्हैया जैसे लोग न केवल अपना वरन् अपने जैसे अनेकों छात्रों का भविष्य बरबाद कर रहा है । इनके माता -पिता ने इन्हें यहाँ पढ़ने के लिये भेजा है न कि राजनीति करने । माना इन लोगों में से एक दो राजनेता भी बन जाये पर सफल वही होता है िजसमें पूरवागृह न हो देश की , जनता की नब्ज़ को पहचानता हो वरना वह न केवल देश के लिये वरन् स्वयं की नज़रों में भी नाक़ाबिल बन जायेगा । एक बात और कनहैया को शह दे रहे विपक्षी नेता लोग यह भी भूल गये हैं कि ६८ वर्षों से शासन बी.जे.पी. या मोदी का नहीं वरन् उस कॉंग्रेस का था जिसे कोस-कोसकर ये सत्ता में आये । अभी जुमा -जुमा १८ महीने भी नहीं हुये कि अचानक ये कांग्रेस के साथ खड़े हो गये। आख़िर इनकी बेताबी का कारण क्या है ? एक आम आदमी समझ नहीं पा रहा है । उसने अपने मताधिकार का प्रयोग कर सत्ता में यह सोचकर परिवर्तन किया शायद उसके जीवन में सुधार हो पर ये तथाकथित बुद्धिजीवी चुनी हुई सरकार को काम ही नहीं करने दे रहे हैं । देश की जनता इनसे समय पर सवाल अवश्य पूछेगी ...।

Friday, March 4, 2016

तिहाड़ जेल से अंतरिम ज़मानत पर लौटा कन्हैया ने जे.एन.यू.कैंपस में अपने भाषण में कहा कि

तिहाड़ जेल से अंतरिम ज़मानत पर लौटा कन्हैया ने जे.एन.यू. कालेज कैम्पस अपने भाषण में कहा कि उसका आदर्श अफ़ज़ल गुरू नहीं वरन् हैदराबाद का छात्र रोहित बेमुला है । रोहित भी हैदराबाद कालेज कैंपस में कुछ एेसा ही गतिविधियों में लीन था । सबसे बड़ी बात रोहित ने आत्महत्या की थी...वह अपने मिशन में असफल रहा था । कन्हैया अब शायद उसके मिशव को पूरा करना चाहता है । वाह क्या बात है जिस देश में ये पले बढ़े अब उसी को तोड़ने की बात करने लगे । ईश्वर इन जैसे लोगों को सुबुद्धि दे क्योंकि देश तो ये हैं, इनकी स्वतंत्रता है वरना इनके लिये ताज़ी हवा में साँस लेना भी मुश्किल न हो जाये । देश की जनता और सेना सब सह सकती है पर देश से ग़द्दारी नहीं ।

Wednesday, March 2, 2016

काफ़ी दिनों से एक पोस्ट फ़ेसबुक और वाट्स अप पर वायरल हो रही है ...अगर लड़कियों को

काफ़ी दिनों से फ़ेस बुक और वाट्स अप पर एक पोस्ट वायरलेस हो रही है ...अगर लड़कियों को माता-पिता को रखने का हक़ होता तो मेरा दावा है दोस्तों कि किसी भी माता-पिता को वृद्धाश्रम न जाना पड़ता । मुझे समझ में नहीं आता कि यह नारी का मानवर्धन है या उसका शोषण !! आख़िर एक ही नारी एक ही है...वही किसी की बेटी है तो वही किसी की बहू भी है । अगर बेटी के रूप में वह माता-पिता को वृद्धाश्रम जाने से रोक सकती है तो बहू के रूप में क्यों नहीं !!! शायद इसी मानसिकता ने बहू को कभी घर का सदस्य नहीं समझा , अपना सर्वस्व न्योछावर करने के बावजूद सदा उसे पराया ही मानते रहे । कुछ घरों में तो पारिवारिक मीटिंगों में भी उसे सम्मिलित नहीं किया जाता । उसकी इच्छा या आपत्ति का भी कोई महत्व नहीं होता । इस पोस्ट के द्वारा न केवल लड़कियों वरन् लड़कों को भी अपमानित करने का प्रयास है । आख़िर माता-पिता लड़के लड़कियों को समान रूप से पालते हैं तो क्या वृद्धावस्था में माता पिता की सेवा करने का दोनों का हक़ नहीं है ? अगर किसी लड़की को लगता है कि उसके माता-पिता की उचित देखभाल नहीं हो रही है तो वह क्यों आगे नहीं बढ़ती ? हक़ छीना भी जा सकता है पर इसके लिये व्यर्थ दोषारोपण के बजाय नीयत साफ़ रखनी होगी । माता-पिता सिर्फ़ लड़कों की ज़िम्मेदारी नहीं लड़कियों की भी हैं । वैसे भी आज मनुष्य की औसत आयु बढ़ गई है...एकल परिवार होने के कारण समस्या बढ़ गई है एेसे में अगर दोनों थोड़ी-थोड़ी ज़िम्मेदारी उठा लें तो किसी को कोई परेशानी न हो तथा उनका बुढ़ापा भी आराम से कट जाये ।

Wednesday, February 10, 2016

जे.एन.यू. में आतंकवादी

जे.एन.यू.में आतंकवादी अफ़ज़ल गुरू के समर्थन में भारत विरोधी नारे लगाये गये...समझ में नहीं आता यह कैसी मानसिकता है ? इस मानसिकता को कौन हवा दे रहा है क्या यह अभिव्यक्ति की आज़ादी का विकृत रूप नहीं है ? जिस देश का युवा देश विरोधी गतिविधियों में संलग्न हो वह विकास के पथ पर कैसे अग्रसर हो पायेगा ? सबसे बड़ा प्रश्न मेरे मन को मथ रहा है कि छात्रों का यह कृत्य राजद्रोह की श्रेणी में नहीं आयेगा ? आिखर अभिव्यक्ति की आज़ादी के नाम पर हम कब तक अराजक तत्वों की राष्ट्र विरोधी हरकतों को सहन करते रहेंगे ।

Wednesday, February 3, 2016

सफलता असफलता एक ही सिक्के के दो पहलू

सफलता असफलता एक ही सिक्के के दो पहलू जो असफलता से न घबड़ाये सफलता से न बौराये वही इतिहास बनाता है ।

Tuesday, February 2, 2016

जज़्बातों की दुनिया है अजीब, कभी हँसाते तो कभी रूलाते हैं जज़्बात ।

जज़्बातों की दुनिया है अजीब कभी हँसाते तो कभी रूलाते हैं जज़्बात । मन में कुछ और जुबां में कुछ और अच्छे-अच्छों को बेबकूफ बनाते हैं जज़्बात । खुदा ने दी नेमत इंसा को जज़्बातों की इंसा का देखो कैसे मख़ोल बनाते हैं जज़्बात । मत भूलो देख रहा है सारा ज़माना घडियाली मुखौटा उतरेगा, ओस नहीं हैं जज़्बात ।

Wednesday, January 27, 2016

अच्छे बुरे पलों का निचोड़ है ज़िंदगी ...

अच्छे बुरे पलों का निचोड़ है ज़िंदगी 
 संगीत नहीं , गणित सी कठोर है ज़िंदगी । 

 पल कभी टीस देते हैं,कभी देते हैं ख़ुशी 
 घबराना नहीं, बौराना नहीं, निचोड़ है ज़िंदगी। 

 सहेजना उन्हीं पलों को जो देते हैं ख़ुशी 
रजनीगंधा सी महकती जायेगी ज़िंदगी ।

 ख़ुशियों को बाँटो हर पल को जिओ 
रूको न कभी,खुदा की इनायत है ज़िंदगी । 

 ज़िंदगी का फ़लसफ़ा गर समझ पाये दोस्त
  बेगानी नहीं,अपनी सी,इंद्रधनुषी लगेगी ज़िंदगी ।

Monday, January 25, 2016

सुर से सुर मिलायें ...

आओ नमन करें जिन्होंने संविधान बनाया था, सर्व धर्म समभाव सिखाकर पाठ रहना सिखाया था । गांधी नेहरू को हम भूल चुके,सुभाष भी अब याद नहीं, मुँह में राम बग़ल में छुरी, यह तो हमारी संस्कृति नहीं । गौतम बुद्ध , महावीर की कर्मस्थली में गौडसे कभी आदर्श बन नहीं सकता । छिप कर करे जो वार वह कायर है स्वतंत्रता सेनानी है या जेहादी समझना होगा । टुकड़ों -टुकड़ों में बँटकर कोई जी नहीं पाया हम पंक्षी है एक डाल के, समझना होगा । ख़ून चाहे हिंदू का बहे या मुसिलम सिख ईसाई का जिस्म एक है, दर्द सबको होगा । एक साथ एक समाज में रहकर भी साथ न रह पाये, दोष हमारा होगा । नारे भले लगा लें एकता के स्वार्थ गर मन में , भला नहीं किसी का होगा । टुकड़ों -टुकड़ों में बँटा मानव न सिर्फ़ समाज का अपना भी अहित करेगा । बैर भाव त्याग , शत्रु को भी गले लगायें, सुर से सुर मिलायें, चलो आज नया भारत बनायें ।

Saturday, January 23, 2016

आज मोदी सरकार ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जन्मदिन पर उनसे संबंधित १०० फ़ाइलें सार्वजनिक की हैं

आज मोदी सरकार द्वारा नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जन्मदिन पर उनसे संबंधित १०० फ़ाइलें सार्वजनिक की हैं । पूरा देश सच जानने के लिये उत्सुक है पर केवल सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस न जाने क्यों इन फाइलों के सार्वजनिक होने से प्रसन्न नहीं है । उसके प्रवक्ताओं का न्यूज़ चैनल पर बर्ताव देखकर जाने अंनजाने मन में यही आ रहा है कि कहीं न कहीं दाल में काला अवश्य है ।

Wednesday, January 20, 2016

कभी-कभी मन जब बेहद दुखी हो जाता है ...

कभी-कभी जब मन बेहद दुखी हो जाता है तब भावशूनयता की स्थिति उत्पन्न हो जाती है । आख़िर कोई व्यक्ति इतना नृशंस कैसे हो जाता है कि दूसरों का ख़ून बहाकर उसे सुकून मिलता है । माना जो व्यक्ति इन नरसंहार में उनकी बंदूक़ों का शिकार होता है उससे उनका कोई संबंध नहीं होता पर इंसानियत का संबंध तो होता है फिर उनकी चीख़ पुकार क्यों नहीं सुनाई देती ? भगवान / अल्लाह ने इंसान को धरती पर नेक कार्य करने भेजा है फिर यह नरसंहार क्यों ?

Saturday, January 16, 2016

अपनी सोच बदलिये,देश बदलेगा ...

सुना है कांग्रेस के शहज़ादे अपने यू.के टूर से लौटकर एक बार फिर आक्रामक मुद्रा में अा गये हैं तथा मोदी की नीतियों को कोस कर अपनी राजनीति चमकाने में लगे हैं पर कोई उनको बताये कि भारत में कितने लोग यूरोप में छुट्टियाँ मनाने जाते हैं । उनका यूरोप में छुट्टियाँ मनाना सही पर मोदी का विदेश जाना ग़लत । मोदी की तो जनता को पल-पल की ख़बर रहती है पर राहुल की गतिविधियों का किसी को पता नहीं रहता है । राजनेता का जीवन पारदर्शी होना चाहिये...हर बात का केवल विरोध करने के लिये विरोध करना उचित नहीं है । उन्हें समझना होगा कि नकारात्मक बातें सिर्फ़ नकारात्मकता फैलाती हैं , वैसे भी किसी कार्य का विरोध करना बेहद आसान पर बदलाव लाना बेहद कठिन । आप बदलाव लाने का प्रयत्न करिये न कि उसे रोकने के लिये । आज तो आपने प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी योजना स्टार्ट अप पर भी अंगुली उठा दी । आख़िर आप चाहते क्या हैं क्या भारत सदा दीन-हीन ही बना रहे ?

Friday, January 8, 2016

हींग लगे न फिटकरी और रंग भी चोखा

पठानकोट के एअरबेस पर पाकिस्तानी आतंकवादियों ने हमला किया । हमारे सात सैनिक शहीद हुये वहीं मालदा तथा अन्य स्थानों में प्रतिक्रिया स्वरूप नित्य अराजक घटनायें घट रही हैं पर कांगरेस के शहज़ादे अभी यूरोप में छुट्टियाँ ही मना रहे हैं । उम्मीद है छुट्टियों के बाद नव उरजा से भरपूर फिर वह आक्रामक तेवर अपनाकर मोदी सरकार को कोसने से नहीं चूकेंगे । शायद इसीलिये कहा गया है हींग लगे न फिटकरी और रंग भी चोखा ।

Wednesday, January 6, 2016

यह कैसी मानसिकता

पठानकोट के एअरबेस पर कुछ पाकिसतान प्रायोजित आतंकवादियों द्वारा हमला तथा वेस्ट बंगाल के मालदा में घटी घटना हमें बहुत कुछ सोचने को मजबूर करती है । आतंकवादियों द्वारा किये हमले की काट तो हम शायद ढूँढ भी लें पर मालदा में हुये हमले का क्या करें ? वोट बैंक की ख़ातिर हर राजनीतिक दल मुँह सिलकर बैठे हैं और तो और यह हमारे मीडिया की भी ब्रेकिंग न्यूज़ नहीं पाई । जब तक यह भेदभाव समाप्त नहीं होगा भारत को विकास के पथ पर ले जाना असंभव है ।