Sunday, December 26, 2021

दादी की पाती पोती के नाम

 


दादी की पाती पोती के नाम

मेरी नन्हीं परी अब तुम बड़ी हो रही हो। कल तुम्हारा बारहवां जन्म दिन था। तुम अपने जीवन के तेरहवें वर्ष में प्रवेश कर रही हो। तेरहवें वर्ष को अंग्रेजी में थरटीन यर कहा जाता है। तुमने सुना होगा टीन एज...अर्थात् जब बच्चा अपना बचपन छोड़कर कैशौर्यावस्था में प्रवेश करता है। अब तुम पूछोगी...दादी, यह कैशौर्यावस्था क्या होती है ? बेटी, यह अवस्था वह होती है जब बच्चा न बच्चों में शुमार होता है और न ही बड़ों में । मम्मी-पापा जब अपने दोस्तों से बात कर रहे होते हैं तो कह देते हैं आप जाओ खेलो या पढ़ो, बड़ों के बीच में बच्चे नहीं बैठा करते या बड़ों की बात सुनना अच्छी बात नहीं है और जब छोटे भाई बहन के साथ खेलने लगो तब तुम्हें लगता होगा कि इनके साथ क्या खेलूँ, यह तो बच्चे हैं।

इस समय तुम्हें अपने शरीर में भी परिवर्तन नजर आ रहे होंगे...जैसे स्त्री अंगों का बढना, तुम्हारी बगल में बाल आना, यह स्वाभाविक है इससे तुम्हें डरने या सहमने की आवश्यकता नहीं है, यह हम मनुष्यों के जीवन के स्वाभाविक परिवर्तन हैं जिनसे पता चलता है कि हमारे शरीर का विकास हो रहा है।

बेटी, मैंने देखा कि एक दिन तुम जरमीनेशन इन प्लांट पढ़ रही थीं। इसको समझने के लिये तुमने चने के दाने को अपने घर के गमले की मिट्टी में दबाकर पानी डाला था। वह हमारे वायुमंडल धूप, हवा और धरती माँ से नमी तथा अन्य पौष्टिक तत्वों लेकर जब हफ्ते भर पश्चात् उसमें नन्हीं पत्तियाँ आईं तब तुम उन्हें हम सबको दिखाते हुये कितनी खुश हुई थीं। बेटी, हमारी प्रकृति ने चाहे वह फल हो या फूल, जानवर हो या कीट पतंगा सबको अपने जैसा ही जीव, फल या फूल बनाने की शक्ति दी हुई है। अगर यह शक्ति न मिली होती तो इस संसार में कोई भी जीव, जंतु, पेड़ पौधा होता ही नहीं । इसी देन के कारण हम सभी अपने-अपने रूपों में जीवित हैं और इसी कारण यह संसार संतुलित रह पाता है ।

तुमने देखा होगा कि एक नन्हा बच्चा धीरे-धीरे बड़ा होता है। अगर वह बच्चा लड़का है तो पुरूष बनता है। अगर वह लड़की है तो स्त्री बनती है। अब शायद तुम्हारा प्रश्न हो कि यह नन्हा बच्चा आता कहाँ से है? बेटी इसके लिये तुम्हें इंसान की शारीरिक संरचना के साथ उसके शरीर के अवयवों के बारे में जानना होगा। मैंने कल तुम्हें डाइजेस्टिव सिस्टम के बारे पढ़ते देखा था। तुम मुझे बता रही थीं कि दादी देखिये जब हम खाना खाते हैं तो वह पहले हमारे मुँह जिसे ‘बकल कैविटी’ भी कहते हैं, में जाता है जहाँ हम उसे हम दाँतों से चबाते हैं। यहीं इसमें सैलाइवा मिलता है जिससे चबाया फूड आसानी से फूडपाइप या ओसोफेगस के द्वारा आमाशय (स्टमक) में पहुँचता है जहाँ उसमें कई जूस मिलते हैं। स्टमक से हाइडफोक्लोरिक एसिड, गालब्लेडर से बाइल जूस तथा पैन्क्रियास से इनसुलिन...जो हमारे खाने को पचाने में मदद करते हैं । इसके पश्चात् यह खाना छोटी आँत (स्माल इनस्टेटाइन) में जाता है जहाँ खाने के पोषक तत्व छोटी आँत में मौजूद थ्रेड लाइक स्ट्रक्चर द्वारा अवशोषित कर ब्लड वैसेल द्वारा शरीर के अन्य भागों में पहुंचाते हैं तथा बचा खाना लार्ज इनस्टेटाइन (बड़ी आँत) में जाता है । यहाँ भी स्माल छोटी आँत वाली प्रक्रिया दोहराई जाती है। अब वेस्ट प्रोडक्ट रेक्टम द्वारा शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है।

बेटी, ठीक इसी तरह हमारे शरीर में उपस्थित फेफड़ो (लंगस) द्वारा हमारे शरीर को आक्सीजन की पूर्ति की जाती है। जिसे श्वसनतंत्र कहते हैं। अभी तक आपने पाचनतंत्र, श्वसनतंत्र के अवयवों के बारे में पढ़ा । उसी तरह हमारे शरीर को सुजारू रूप से चलाने के लिये उत्सर्जन तंत्र (एक्सक्रीटरी सिस्टम), तंत्रिका तंत्र (नर्वस सिस्टम) परिसंचरण तंत्र (सरकुलेटरी सिस्टम) अंतःस्त्रावी सिस्टम (एन्डोका्रइन सिस्टम), पेशी सिस्टम (मस्कुलर सिस्टम) तथा प्रजनन तंत्र (रिप्रोडक्टरी सिस्टम) होता है जो आपस में एक साथ मिलकर काम करते हैं ।

धीरे-धीरे तुम इन सभी सिस्टम के बारे में पढ़ोगी किन्तु आज मैं तुम्हें प्रजनन तंत्र के बारे में बताना चाहूँगी । प्रजनन तंत्र के मुख्य अवयय स्त्रियों में ओवरी, फैलोपियन टियूब तथा गर्भाशय (यूटरस) होते हैं वहीं पुरूषों में टेस्टिस । ओवरी में अंडे बनते हैं वहीं पुरूषों में स्थित टेस्टिस में स्पर्म बनते हैं।

बेटी, जब लड़की या लड़का टीन एज में पहुँचते हैं तब उनके यह अंग अपना काम करना प्रारंभ करते हैं। लड़कियों के शरीर में उपस्थित ओवरी में अंडे का निर्माण होता है जो फैलोपियन टियूब से होते हुये गर्भाशय में पहुँचता है। यह अंडा कुछ दिन गर्भाशय में रहता है। अगर इस बीच अंडे में स्पर्म आकर मिल जाते हैं तब फर्टिलाइजेशन हो जाता है । तब स्त्री के शरीर के अंदर एक नये जीव का निर्माण होने लगता है जो धीरे-धीरे बढ़ता है। जब इस जीव के अंगों को विकास हो जाता है तब यह नन्हें बच्चे के रूप में दुनिया में आ जाता है। अगर ऐसा नहीं होता तब अंडा स्वतः ही नष्ट हो जाता है। स्वतः नष्ट हुये अंडे का तरल पदार्थ जो खून के रूप में होता है स्त्री के मूत्रमार्ग के पास स्थित वैजाइना से बाहर आने लगता है। अंडे के यूटरस में नष्ट होने तथा गंदे द्रव के शरीर से बाहर निकलने के समय स्त्री को तीन चार दिन थोड़ी परेशानी से गुजरना पड़ता है जैसे कमर में हल्का दर्द किन्तु यह इतना भी नहीं होता कि कोई लडक़ी अपनी सहज दिनचर्या न कर पाए। इन दिनों तुम स्कूल जा सकती हो, पीना मनपसंद खेल सकती हो ।

बेटी, स्त्री को इस प्रक्रिया से हर महीने गुजरना होता है क्योंकि अंडे बनने और उसे नष्ट होने में 28 दिन लगते हैं। इसीलिये इसे कुछ लोग इसे महीना, कुछ पीरियड, कुछ मेन्सुरेशन भी कहते हैं जिसका अर्थ एक निश्चित अवधि के पश्चात् डिस्चार्ज होना होता है।

बेटी, अब तुम उम्र की इस अवस्था में पहुंच चुकी है । तुम्हारे शरीर में अंडा बनने तथा उसके नष्ट होने की प्रक्रिया कभी भी प्रारंभ हो सकती है । अगर कभी तुम्हारी पेंटी में खून के दाग लगें तो घबराना नहीं क्योंकि यह एक लड़की के जीवन की स्वाभाविक प्रक्रिया है। जब भी ऐसा हो अपनी मम्मी को बता देना। तुमने सैनिटरी पैड का नाम सुना होगा। वह तुम्हें सैनिटरी पैड यूज़ करना बता देंगी जिससे कि तुम्हारे कपड़े गंदे न हों।

बेटी, ईश्वर ने स्त्री को माँ बनने का वरदान दिया है इसीलिये उसे बहुत सहनशील बनाया है। शायद तुम्हारे अबोध मन में प्रश्न आया हो कि स्त्री के अंडे से पुरूष का स्पर्म कैसे मिला । बेटी, जब दो विपरीत लिंगी आपस में प्यार करते हैं तब ऐसा होता है।

बेटी, तुम सोच रही होगी मैं तुम्हें यह पत्र क्यों लिख रही हूँ !!  तुम अब बड़ी हो रही हो...मैं तुम्हें बहुत प्यार करती हूँ और मैं यह भी जानती हूँ कि तुम भी मुझे बहुत चाहती हो। मैं चाहती हूँ तुम अपने बारे में अपने शरीर के बारे में जानो,अपने सामाजिक दायरे के बारे में जानो। लड़कों को दोस्त बनाओ पर उससे एक निश्चिित दूरी बनाकर रखो।

तुम अपने मनमस्तिष्क में यह क्षमता विकसित करो कि किसी भी लड़के के व्यवहार को देखकर या उसके स्पर्श करने के तरीके को देखकर तुम समझ सको कि ‘गुड टच’ और ’बैड टच’ क्या है जिससे कोई तुम्हें हार्म ( नुकसान )  न पहुँचा सके । बेटी, ईश्वर ने स्त्री को ही माँ बनने की क्षमता दी हैै अतः स्त्री को बहुत सोच समझकर कदम उठाना चाहिये। जब तुम्हें लगे कि अब तुम्हें माँ बनना चाहिये, अब तुम बच्चे की जिम्मेदारी संभाल पाने योग्य हो तभी इस ओर कदम बढ़ाना।

बेटी, अपनी क्षमताओं और कमियों को पहचानकर निरंतर आगे बढ़ने की कोशिश करो। अभी अपना सारा ध्यान पढ़ाई पर लगाओ। अपना लक्ष्य निर्धारित करो तथा उसे पाने के लिये जी जान से जुट जाओ । एक समर्थ, आत्मविश्वासी और आत्मनिर्भर लड़की ही जीवन में आई सारी कठिनाइयों को झेलकर आगे बढ़ सकती है। मैं तुम्हें सदा सफल देखना चाहती हूँ। ढेरों आशीर्वाद...।

हर कदम पर तुम्हारी सफलता की कामना के साथ...।

तुम्हारी दादी