Thursday, February 2, 2012

हमारा संविधान कहता है कि हमारा राष्ट्र धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है पर आज हिंदुओं कि बात करने वाला सांप्रदायिक कहलाता है जबकि मुस्लिम हितों कि बात करने वाला धर्मनिरपेक्ष....समाज के तथाकथित धर्मनिरपेक्षों कि ऐसी मानसिकता कहीं हमारे देश का एक और विभाजन न करा दे....दलगत स्वार्थ में लिप्त यह लोग यह भूल रहे है कि देश विकासोन्मुख तभी हो सकता है जब देश के सभी प्राणी प्यार, अपनत्व और भाईचारे के साथ   रहें।
पर लगता है कि इन लोगों को देश से ज़्यादा अपना स्वार्थ प्यारा है तभी तो इन्हे भाई को भाई से लड़ाने  तथा एक दूसरे के विरुद्ध विष वमन कर नफरत के बीज बोने में ज़्यादा आनंद आता है....और इससे भी ज़्यादा आनंद आता है लोकलुभावन वादे करने में..... जनता   अब इन लोगों कि नौटंकी देखकर थक चुकी है उसे  पता चल गया है कि इनके सारे करतब  सिर्फ चुनाब जीतने के लिए है....कोई किसी का साथी नहीं है....चुनाव संपन्न होते ही ये अपने ए॰ सी॰ कमरो  मे बंद हो जायेंगे शायद पाँच वर्षों तक किसी को दिखाई भी न दें....।