Wednesday, July 27, 2016

अरविन्द केजरीवाल का कहना है कि मोदी उन्हें मरवा सकते हैं ...

अरविन्द केजरीवाल का कहना है कि मोदी जी उन्हें मरवा सकते हैं । शायद केजरीवाल और उनकी आम आदमी पार्टी को मोदी फेबिया हो गया है तभी वह अपनी पार्टी में हुई हर समस्या को मोदी से जोड़कर उन्हें दोष देने लगते हैं । शायद उन्हें पता नहीं है कि वह ऐसा करके पढ़े लिखे लोगों को स्वयं से दूर कर रहे हैं । दिल्ली की जनता ने उन्हें इसलिये नहीं चुना था कि वह नकारात्मक राजनीति करने लगें । मोदी का विरोध कर हो सकता है वह मोदी विरोधियों को एकजुट भले कर लें पर इतना उन्हें अवश्य ध्यान रखना चाहिये कि अब लोग जागरूक हो गये हैं वह उनकी चालों में नहीं आने वाले । लोग सिर्फ़ और सिर्फ़ विकास चाहते हैं अनर्गल प्रलाप नहीं ।

Thursday, July 21, 2016

सावन की रीति यही

सावन की रीति यही घन-घन घनघाेर घटा सदियाें से सावन की रीति यही... रिमझिम -रिमझिम रेशमी फुहार हरियाली का गीत यही... मयूर नृत्य, काेयल की कूक मद भरे समां का संगीत यही... सरस सलिल ,सावन मनभावन सकल सखियाें की प्रीति यही ।

Tuesday, July 19, 2016

हमें नाज है अपने जवानों पर

हमें नाज है अपने जवानों पर देश प्रेम का जज़्बा, देश के लिए मरने मिटने की चाहत गर हम सीख पाते तब शायद हम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर अपनी एक अलग दुनिया न रचते, अलग कौम न बनाते । एक सैनिक के परिवार उसके मानवधिकार की बातें न कर एक आतंकी के मानवधिकार की बात न करते... मत भूलो तुम्हारी आजादी तुम्हारी सांसे इन्हीं वीर सैनिकों की देन हैं । कृतज्ञ है रोम-रोम तुम चाहे मानो या न मानो । जय हिंद की सेना ।

हमें नाज है अपने जवानों पर

हमें नाज है अपने जवानों पर देश प्रेम का जज़्बा, देश के लिए मरने मिटने की चाहत गर हम सीख पाते तब शायद हम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर अपनी एक अलग दुनिया न रचते, अलग कौम न बनाते । एक सैनिक के परिवार उसके मानवधिकार की बातें न कर एक आतंकी के मानवधिकार की बात न करते... मत भूलो तुम्हारी आजादी तुम्हारी सांसे इन्हीं वीर सैनिकों की देन हैं । कृतज्ञ है रोम-रोम तुम चाहे मानो या न मानो । जय हिंद की सेना ।

Wednesday, July 13, 2016

एक निर्जीव वस्तु के लिये सजीव,निर्दोष कली को सज़ा क्यों ?

सज़ा क्यों फिर सुना एक नवविवाहिता को उसके सुहाग के लाल जोड़े ने शोला बनाकर जला डाला । हाथ की लाल मेंहदी का रंग अभी उतरा भी न था कि उसके माँग के लाल सिंदूर ने जन्म-जन्म साथ निभाने का वायदा तोड़ डाला। अग्नि के सात फेरों के साथ आकार लेते अरमान फूल बनने से पूर्व ही रौंद डाले गये । एकांत कोने में पड़ी माथे की गोल-गोल बिंदिया चीतकार कर उठी एक निर्जीव वस्तु के लिये सजीव, निर्दोष कली को सज़ा क्यों सज़ा क्यों ?

Tuesday, July 12, 2016

देश प्रेम और देश द्रोह के बीच जंग जारी है

देश प्रेम और देश द्रोह के बीच जंग जारी है , देशद्रोही नारे सुनकर, खून न खोले वह खून नहीं पानी है । देशप्रेम माँ के खून की तरह रग-रग में समाया है, सिर्फ़ कहने से ही कोई देशप्रेमी बन नहीं जाता । अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर अनाचार बंद करो, उच्च श्रंखलता पर अंकुश ज़रूरी,माँ ने नहीं सिखाया तो अब सीखो । नैतिकता का नहीं ज़रा भी नहीं भान, कैसे हो तुम देशवासी, जिनकी जड़ो में लगा हो धुन, वह क्या देंगे माँ भारती को सम्मान । अब तो चेतों, अभी न संभले तो कब सँभलोगे, जब देश ही नहीं रहेगा तो तुम कहाँ रहोगे ? मानव हो मानवीय गुण अपनाओ... छोड़ कर बंदूक़ें प्रेम की गंगा बहाओ । तुम सुधरोगे देश सुधरेगा... विश्व के पटल नाम भारत का होगा ।

Monday, July 11, 2016

निशीथ के गहन अंधकार में

अंधेरों के वलय निशीथ के गहन अंधकार में अतीत की गहराइयों में डूबकर न जाने क्यों हो रही हूँ व्यथित ? अतीत... नैराशय और व्यथा से पूर्ण चाहती हूँ भुलाना परन्तु असंभव छलावा मात्र... रह-रहकर मंडराना मन-मस्तिष्क में अनकही विवशता,बेचैनी... न कब, किस घड़ी अतीत को छोड़ अभिशपत, अग्नि दग्ध ह्रदय को सावन की सुखद सलोनी बूँदों से कर शीतल, भविष्य के सुनहरे स्वप्नों की ओर हो पाऊँगी अग्रसर ।

Sunday, July 10, 2016

संघर्ष का नाम ही तो ज़िंदगी है ...

ज़िन्दगी संघर्ष का नाम ही तो ज़िंदगी है , जीवन के कुछ पलों में जब होती है निराशा लेना चाहिये तब काम धैर्य से क्योंकि ... निराशा के पश्चात ही होता है आशा का प्रादुर्भाव और ... दुख की तपिश से जलते तन-मन को सुख की चन्द्रिका आत्मिक सुकून का कराती है अहसास ।

Friday, July 8, 2016

ज़िन्दगी एक स्वप्न है...

ज़िन्दगी ज़िन्दगी एक स्वप्न है वास्तविकता से दूर, नैराशय के टूटे खंडहरों में दुख और व्यथा से पूर्ण, बहता रहता है जहाँ सुख-दुख का अथाह सागर । सृष्टि के इस महान रहस्य को कोई नहीं जान पाता प्रयत्न करता है यदि कोई स्वयं उलझ जाता है विश्व रूपी पिंजड़े में ।