सज़ा क्यों
फिर सुना
एक नवविवाहिता को
उसके सुहाग के
लाल जोड़े ने
शोला बनाकर
जला डाला ।
हाथ की
लाल मेंहदी का
रंग अभी
उतरा भी न था
कि उसके
माँग के लाल
सिंदूर ने
जन्म-जन्म
साथ निभाने का
वायदा तोड़ डाला।
अग्नि के सात
फेरों के साथ
आकार लेते अरमान
फूल बनने से पूर्व ही
रौंद डाले गये ।
एकांत कोने में पड़ी
माथे की गोल-गोल
बिंदिया चीतकार कर उठी
एक निर्जीव
वस्तु के लिये
सजीव, निर्दोष
कली को
सज़ा क्यों
सज़ा क्यों ?
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