Saturday, October 1, 2016
1990 मे सयुक राष्ट्र की आम सभा मे 1 अक्तूबर को वृद्ध जन दिवस के रूप मे मनाने की घोषणा हुई थी। इसका उद्देश्य दुनिया भर के वृद्ध जनों की और दुनिया का ध्यान आकर्षित करना था तबसे इस दिन को वृद्ध जन दिवस के रूप मे मनाया जाता है पर लगता है यह दिन भी सिर्फ कागजों में सीमित होकर रह गया है अगर हम और उनके लिए कुछ नहीं कर सकते तो आज के संकल्प ही लें कि हम सदा अपने बुजुर्गो का आदर करेंगे,उनके मानसम्मान को कभी ठेस नहीं पहुंचायेंगे....मत भूलिए वृद्धावस्था अभिशाप नहीं वरदान है जीवन का,अनुभवो से गर सीख न सके निष्फल होगा जीवन अपना.....।
इसके साथ ही वृद्ध जनों को भी चाहिए कि वे अपने अनुभवों से भावी पीढ़ी को लाभान्वित करें न कि व्यर्थ टोका-टोकी कर निज संतानों का जीवन दुष्कर बनायें । जब तक वे समय के साथ स्वयं को नहीं बदलेंगे तब तक वह न स्वयं सुखी रह पायेंगे न ही अपने अंशों के साथ न्याय कर पाएंगे ।
स्वयं भी जियें और दूसरों को भी जीने दें का अगर सिद्धान्त अपना लें तो वृद्धावस्था बोझ नहीं वरन जीवन को जीने का एक नया आयाम सिद्ध होगी ।
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