Tuesday, June 28, 2011
krodh
क्रोध
क्रोध मानव का सबसे बड़ा दुश्मन हे क्योकि क्रोध में व्यक्ति विवेकशून्य हो जाता हे....अपना मानसिक संतुलन खो देता हे जिसके कारण उसे अपने अच्छे बुरे का ख्याल ही नहीं रहता....मानव को अगर मानव बने रहना हे तो उसे अपने क्रोध पर अंकुश लगाना होगा... जो ऐसा करने में सक्षम रहता हे वह जीवन में आई हर बाधा को पर कर आगे बढ़ता जाता हे....।
Monday, June 27, 2011
shubhkamnaye
प्यार की भीनी-भीनी सुगंध हे विवाह बंधन,
विश्वास की लडियो से गुंठित है विवाह बंधन,
सात वचनों,सात जन्मो का साथ है विवाह बंधन,
सतरंगी इन्द्रधनुषी अहसास है विवाह बंधन,
आंधी तूफानो के बीच भी हाथ में पकडे हाथ
चलते जाने का नाम है विवाह बंधन....
सदा खुश रहो, ढेरो आशीष के साथ....
मम्मी एवम पापाजी ....
Tuesday, June 21, 2011
शब्द दिल को तोड़ते भी हैं, दिलों को जोड़ते भी हैं ...
शब्द दिल को तोड़ते भी हैं,
दिल को जोड़ते भी हैं ।
शब्दों के हेर-फेर से
रिश्ते बिगड़ते भी है,संभलते भी है।
शब्दों की बात निराली,रीत निराली,
शब्दों को समझे बिना,
शब्दों का तिलस्म
न जान पाओगे बंधु।
शब्दों के संग कर
यारी करके देखो मित्र,
अच्छे-बुरे वक्त में
बहुत काम आयेंगे...।
Saturday, June 18, 2011
vishvas
विश्वास के बल पर ही पूरी दुनिया और मानव का मानव से संबंध कायम हे यह एक सार्वभोमिक सत्य हे....पर इससे भी बड़ा सत्य हे मानव का निज पर विश्वास....अगर हमे निज पर विश्वास नहीं हे तो हम योग्य होते भी सफल नहीं हो पायेगे, कहा भी गया हे मन के हारे हार हे मन के जीते जीत....हर मानव के जीवन में अच्छे बुरे पल आते हे पर अगर निज पर विश्वास हे तो मानव मार्ग में आई हर बाधा को पार कर अपने उद्देश्य को प्राप्त कर ही लेगा....
Thursday, June 16, 2011
Takrav
अस्तित्व....मानव जीवन की पूरी लड़ाई अस्तित्व पर ही टिकी हे....दुनिया में जो कुछ भी घट रहा हे या जो भी अनहोनी हो रही हे वह अपने-अपने अस्तित्व के लिए हे , चाहे यह आपसी संबंधो में या देश दुनिया में हो....अस्तित्व के लिए कभी-कभी मानव मानवीय गुणों को भी ताक पर रख देता हे....एक दूसरे की भावनाओं की अनदेखी करते तथा अपना मनचाहा न होने पर उसे न जाने ऐसा क्यों लगने लगता की लोग उसका तिरस्कार कर रहे हे....किसी बात पर असहमत होने का मतलब यह नहीं उसके अस्तित्व को नकारा जा रहा हे....जो ऐसा सोचते हे वह बहुत बड़ी गलती करते हे....आज की युवा पीढ़ी में तो यह बात आम हे....बड़े अगर किसी बात के लिए डाट देते हे तो उनके अस्तित्व पर बन आती हे....इस सोच के कारण कभी-कभी वे अहितकारी कदम भी उठा लेते हे, पर अपनी इस सोच के कारण उनका ही अहित होता हे....सहनशीलता मानव का एक ऐसा गुण हे जिसको अपना कर इन्सान कभी कोई गलत कदम नहीं उठा सकता....जो दुसरे के अस्तित्व को मान देगा उसके अपने अस्तित्व को खरोंच भी नहीं आएगी विश्वास हे मेरा....
Wednesday, June 15, 2011
प्रेम की परिभाषा हर प्राणी के लिये अलग-अलग होती है ...
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प्रेम की परिभाषा हर प्राणी के लिये अलग-अलग होती है । किसी के सिये प्रेम त्याग तो किसी के लिये समर्पण है , किसी के प्रेम पूजा है तो किसी के लिये बलिदान...पर मेरे लिये प्राणी मात्र से प्रेम करना ही प्रेम है । प्रेम में चाहना नहीं वरन् अपने प्रेम के लिये कुछ कर गुज़रने की भावना मुख्य होनी चाहिये । प्रेम सनातन सत्य है इसके बिना सृष्टि की कल्पना भी असंभव है । अपने घोर विरोधी से प्रेम करके देखिये वह भी कुछ दिनों में आपका अपना हो जायेगा । मत भूलिये जंग नफ़रत से नहीं प्यार से जीती जा
सकती है । नफ़रत से किसी और का नहीं स्वयं अपना ही नुक़सान होता है । एेसा क्षणों से उत्पन्न मानसिक उत्तेजना अपनी ही देह की दुश्मन बन जायेगी । मित्र भी शत्रु बनते
जायेंगे अत:सारे पूर्वागृह त्याग कर प्रेम रूपी दौलत अपना लीजिये , जीवन ख़ुशनुमा बन जायेगा ।
Friday, June 10, 2011
kya ho gaya he in netao ko
पिछले कुछ दिनों से जो कुछ घटा हे उसको देख सुन कर आखे शर्म से झुक जाती हे....ऐसे ऐसे शब्द सुनने को मिल रहे हे एक दुसरे पर इतने दोषारोपण हो रहे हे की लग ही नहीं रहा हे की हम एक सभी समाज में रह रहे हे....क्या भश्ताचार और काले धन के विरुध आवाज उठाना गुनाह हे....तो यह गुनाह एक देशभक्त सदेव करेगा....केवल कतिपय लोगो की खातिर पूरा देश क्यों सजा भुगते ? आखिर किसी को तो आवाज बुलंद करनी ही थी, यह आवाज चाहे गाँधीवादी देशभक्त अन्ना हजारे की हो या धरती से जुड़े योगाचार्य बाबा रामदेव की हो....कुशी होती हे यह देख कर आज इनके साथ पूरा देश खड़ा हे....पाप का घड़ा भर गया हे....बस अब फूटने का इंतजार हे.....
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