हूँ दीप शिखा
चौथ का चाँद
खेले आंखमिचौली
बेचैन नारी ।
दिखा चाँद
तन-मन हुलासा
तपस्या पूर्ण ।
अजब रीति
जली जिसके लिए
तोड़े स्वप्न ।
भग्न हृदय
जोड़ना सीखा मैंने
हारूँगी नहीं ।
चलूंगी संग
तू है मेरा, मैं तेरी
मेरा विश्वास ।
न ले परीक्षा
मोम की नहीं नारी
है दीपशिखा ।
@ सुधा आदेश
करवा चौथ की शुभकामनायें...
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