मैं जल की बहती धारा, रूकना मेरा काम नहीं
चल सको तो चलो साथ मेरे, मत कहना कहा नहीं ।
जीवन है थोड़ा क्या पाया क्या खोया ,रखा हिसाब नहीं,
कर्तव्य पथ पर चलती रही, पाया कभी विश्राम नहीं ।
कट जायेगा बचा जीवन भी ,रही कोई आस नहीं
साथ मेरे कर्म , दुनिया रूठे आंच नहीं ।
न रहूँ आश्रित किसी के, विश्वास कभी टूटे नहीं
चलना ही जीवन मकसद रहे,डगमगाये कभी कदम नहीं ।
@ सुधा आदेश