इन्सान की सोच इन्सान के जीवन को महतवपूर्ण दिशा देती हे....नकारात्मक एवं कुंठित सोच वाला इन्सान चाहे कितना ही योग्य और बुद्धिमान क्यों न हो जीवन में तरक्की नहीं कर सकता. वह अपने गुणों को विकसित करने की जगह दुसरे के गुणों को देखकर ईर्ष्या में जलभुनकर अपना ही नुकसान कर बेठाता हे, तथा दोष दुसरो के माथे पर थोप कर अपनी असफलता पर आंसू बहाने लगता हे, इसके विपरीत सकारात्मक सोच वाला इन्सान अपनी कमियों को भी अपनी मेहनत के बल पर विजय प्राप्त कर अपना मुकाम हासिल कर लेता हे....यही कारन हे कभी-कभी जो काम पांच इन्द्रिय वाले नहीं कर पते वह अपंग भी अपनी जीवन के प्रति अपनी लगन के कारन कर लेते हे....अब तुम्हे स्वयम विचार करना हे की तुम्हे सदा गिले शिकवे के साथ जिंदगी गुजारनी हे या जिंदादिल इन्सान की तरह जीना और दूसरो को भी जीने के लिए प्रैरित करना हे ....
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