Thursday, November 18, 2010

pariwar

व्यक्ति से परिवार बनता हे तथा परिवार से समाज....अर्थात व्यक्ति पर ही समाज के निर्माण का दायित्व होता हे, अगर व्यक्ति किसी काम की अलख मन में जगा ले तो चाहे कितनी ही कठिनाइया आये वह अलख को बुघने नहीं देगा....उसके आदशो की अलख स्वयं  तो जलेगी ही दुसरो के घर को भी अपने प्रकाश से प्रकाशित करेगी इसमें संदेह नहीं हे. आवश्कता हे  इक्च्शक्ति की....ऐसा व्यक्ति अपने मनोबल के कारन न केवल अपना ध्येय प्राप्त करता हे वरन अपने साथ समाज को चलने के लिए भी प्ररित करता हे....बड़े- बड़े महापुरुष इसके उदाहरण हे....जिन्होंने  अपनी सोच और कर्म से समाज और देश को एक  नई  दिशा दी....जो व्यक्ति समाज को साथ लेने की शक्ति रखता हे वही  सही अर्थो में मानव कहलाने का अधिकारी होता हे....आइये हम सब भी समाज के लिए एक नेक काम करे समाज में परिवर्तन अवश्य ही होगा....  

No comments:

Post a Comment