Wednesday, August 6, 2014

ज़िंदगी

अच्छे बुरे पलों का जोड़ है ज़िंदगी
संगीत नहीं, गणित सी कठोर है ज़िंदगी ।

पल कभी टीस देते हैं, कभी ख़ुशी,
घबराना नहीं, बौराना नहीं,निचोड़ है ज़िंदगी ।

सहेजना सदा उन्हीं पलों को जो देते हैं ख़ुशी,
रजनीगंधा सी महकती जायेगी ज़िंदगी ।

ख़ुशियों को बाँटों, हर पल को जिओ,
रुको न कभी,  ख़ुदा की इनायत है ज़िंदगी ।

ज़िंदगी का फ़लसफ़ा गर समझ पाते,
बेगानी नहीं ,अपनी सी, इंद्रधनुषी  सी लगे ज़िंदगी ...।



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