Sunday, November 6, 2011
मन
मन को आज तक कोई नहीं समझ पाया है मन अगर चाहे कठिन से कठिन समस्याओ का हल चुटकियों मे कर दे,नहीं तो सरल से सरल समस्याओ के समाधान में महीनो लगा दे....किसी ने सच ही कहा है....मन की गति मन ही जाने....मेंने मन की गति को कुछ इस तरह उकेरने का प्रयत्न किया है....
उलझनों में घिरा मन
अगर मगर में हैरान परेशान मन
फिर भी चलता चला
जा रहा है मन...।
कितना कैद रहे मन,
उड़ना है तो उड़ेगा मन
फिद्रत से मजबूर मन....
हँसोगे तो हँसेगा मन
रोओगे तो रोएगा मन
नाचता नचाता रहा सदा मन....।
आवश्यकता में तीव्रता से भागा मन
रुका तो रुका ही रह गया मन,
मन को ही नहीं समझ पाया मन...।
मित्र बना जब मन का मन,
अंधेरों में जुगनू सा जगमगाया मन,
इन्द्रधनुष सा लहराया, सुकून पाया मन....।
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