Tuesday, June 18, 2019

खो रही हैं बोलियाँ

खो रही हैं बोलियाँ 

 अजीब सा कलरव
 भागादौड़ी की कश्मकश 
न जाने कैसी बेचैनियां । 
खो रही हैं बोलियां 
नहीं हैं अब गर्मजोशियाँ । 

नन्हों के हाथ में मोबाइल 
मां-पिता व्यस्त कर्म चक्रव्यूह में 
नहीं रही अब गोदियाँ । 
 नहीं रही अब बोलियां 
नहीं सुनाता कोई लोरियां । 

 एक ही कमरा ,
एक ही पलंग 
चैटिंग में मस्त युगल 
बढ़ रही हैं दूरियां । 
 नहीं रही अब बोलियां 
नहीं रही गलबहियाँ । 

 समाज से कटे,भटके लोग
 नैतिकता का भी भान नहीं 
अजब-गजब मजबूरियां । 
 नहीं रही अब बोलियां 
बढ़ रहीं तन्हाइयां। 

 @सुधा आदेश

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