कहा जाता है कि प्रेम के दो शब्द जीवन में मिठास घोल देते है पर अहंकार में डूबा मानव यहीं कंजूसी कर जाता है...मानमनोवल का आदि एवं भविष्य को सहेजने की अंधी दौड़ में शामिल इंसान यह भी भूल जाता है कि सभी भौतिक वस्तुएं यहीं रह जायेंगी, साथ जायेंगे तो सिर्फ उसके मीठे बोल,उसके कर्म...यदि वह सबका सम्मान करता है,सबसे अच्छी तरह व्यवहार करता है तो उसके हर सुख-दुख में उसके निकट संबंधी, इष्ट- मित्र उसका साथ निभायेंगे वरना एक समय ऐसा भी आएगा कि उसे रहना भी अकेले पड़ेगा और जाना भी अकेले ही पड़ेगा...।
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