दर्द इंसानी जीवन का सार्वभोमिक सत्य है...जिस जीवन का प्रारम्भ दर्द से हो तथा जिसका अंत दर्द की पीड़ा से मुक्त न हो वह जीवन भला दर्दरहित कैसे हो सकता है जबकि इंसान सदा सुख को गले लगाने के लिए तत्पर तथा दुख से भागने के लिए प्रयत्नशील रहता है...अगर हम सुख की तरह ही दुख को भी अपना साथी बना ले तो दुख की धड़ियाँ भी कट ही जाएंगी...यह सदा याद रखें कि दुख के पश्चात ही हम वास्तविक सुख का अनुभव कर पाते है,,,।
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