कई बार ऐसा होता है की न चाहते हुऐ भी इन्सान जिंदगी से हताश निराश हो जाता हे विभिन्न तरह के विचार आकर उसकी दशा और दिशा बदल देते हे पर वह कोई उपाय नहीं खोज पाता....स्तिथी इतनी अजब गजब हो जाती हे की वह उससे निकलने का सही मार्ग खोजने में असमर्थ रहता हे कुछ ऐसी ही स्तिथि हमारे देश की हे....राजनेताऔ ने अपने स्वार्थ के लिए समाज के इतने टुकड़े कर दिए हे की हमारी अस्मिता ही खतरे में पडा गई हे बचपन से हम सुनते आये हे की कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक भारत एक हे....दुःख होता हे जब कुछ तथागत बूधिजिवियो को भारत का अभिन्न अंग कहलाने वाले कश्मीर के बारे में कहते हुए सुनते हे की वह तो भारत का हिस्सा कभी था ही नहीं....लालचौक पर तिरंगा झंडा फहराने के जज्बे वालौ को आज चुनोती दी जाती की यदि आपके कारण घाटी में कोई समस्या आती हे तो उसके लिए आप ही जिम्मेवार होगे, वहां एक चुनी हुई सरकार हे, कानून व्यवस्था की जिम्मेवारी सरकार की हे, ऐसा कह कर वह देशभक्तों का साथ दे रही या अलगाववादियों का....समझ में यह नहीं आ रहा हे हमारी केंद्रीय सरकार यह सब देख सुन कर चुप क्यों हे....कही इसके पीछे कोई गहरी चाल तो नहीं हे....कही सरकार यह सब किसी के इशारे पर तो नहीं होने दे रही वरना ऐसा क्यों हे की हम अपने ही देश के एक भूभाग पर तिरंगा नहीं फहरा सकते न ही ऐसे लोगो पर कोई कार्यवाही कर पाते जो हमारे देश की अखंडता पर कुठाराघात करता हे....आखिर हम इतने विवश क्यों हे....हमारी सीमाओं पर हमरे वीर सपूत जान की बाजी लगा देते हे पर हम उनकी शहादत को मूल्य समझने को भी तेयार नहीं हे आखिर यह कैसी मजबूरी हे....न जाने कब हमारे राजनेता छुद्र स्वार्थ को तिलांजलि देकर देश हित में सोचेंगे और करेंगे....आज का हताश निराश सामान्य नागरिक गर्वे से एक बार पुनः कह सकेगा हम उस भारत देश के नागरिक हे जहाँ के हर नागरिक के दिल में देश के लिए अथाह प्रेम हे वह मर जायेगा पर अपने देश के टुकड़े नहीं होने देगा....
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